July 10, 2025

कानपुर। नये आपराधिक कानूनों के तहत बदली गई धाराएं एक जुलाई से लागू होने जा रही हैं। इसको लेकर अधिवक्ताओं में रोष है और उनका कहना है कि नये कानूनों का तब तक क्रियान्वयन स्थगित रहना चाहिये जब तक सब लोग जागरुक न हो सके। पहले सबको जागरुक करो तब नए कानून लागू करो नारे लगाते हुए अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर विरोध दर्ज कराया। अधिवक्ता कल्याण संघर्ष समिति के बैनर तले लॉयर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पंडित रवीन्द्र शर्मा की अगुवाई में अधिवक्ताओं ने नये कानूनों का विरोध जताया और जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। रवीन्द्र शर्मा ने बताया कि भारत सरकार द्वारा देश की सैकड़ों वर्ष पुरानी आईपीसी, सीआरपीसी और इविडेंस एक्ट के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम बना दिए जिन्हें एक जुलाई से लागू किया जाना है। तीनों नए आपराधिक कानूनों में अधिकतर धाराओं को बदल दिया गया है। नए कानून अभी विधि शिक्षा में भी सम्मिलित नहीं है। इसकी वजह से नवागंत अधिवक्ताओं को भी इनकी जानकारी नहीं है। बदली धाराओं की जानकारी आम जनमानस को भी नहीं दी गई है। यदि लोगों को जागरूक किए बिना कानून लागू किए जाते हैं तो आम आदमी सहित हम अधिवक्ताओं को भी समस्याएं आएंगी। अभी लोगों को कानूनों की जानकारी है तब तो पुलिस अपनी मनमानी कर देती है। यदि बिना जागरूक किए नए कानून लागू किए जाते हैं तो देश में पुलिसिया राज कायम हो जाएगा और जानकारी के अभाव में लोग न्याय से वंचित होंगे। हमारा कहना है कि लागू करने से पूर्व नए कानूनों का कम से कम 5 वर्षों तक विधि विद्यालयों में अध्ययन कराया जाए और इसी मध्य  गांव-गांव, घर-घर कानूनों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए और तब तक के लिए प्रधानमंत्री नए कानूनों का क्रियान्वयन स्थगित करें। यदि इसमें समस्या हो तो नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जनहित में तीनों कानूनों को स्थगित कराने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं। अधिवक्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को संबोधित ज्ञापन अपर नगर मजिस्ट्रेट रामशंकर को सौंपा। इस दौरान अधिवक्ताओं में नरेश चन्द्र त्रिपाठी, अरविन्द दीक्षित,  संजीव कपूर, विजय सागर, कंचन गुप्ता, राम जी दुबे, अखिलेश सिंह, गौरांग त्रिवेदी, वसीम अहमद, नूर आलम, संदीप वर्मा, के के यादव आदि मौजूद रहें।

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