कानपुर। खरीफ में प्याज की वैज्ञानिक विधि से खेती करने से किसानों को अधिक लाभ होता है। प्याज की नर्सरी जून अंतिम सप्ताह तक अथवा देर की अवस्था में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक डाल सकते है। यह जानकारी सोमवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के सब्जी अनुभाग कल्याणपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ राम बटुक सिंह ने दी। उन्होंने कहा कि किसान भाई प्याज की नर्सरी जून अंतिम सप्ताह तक अथवा देर की अवस्था में जुलाई के प्रथम सप्ताह तक डाल सकते है। प्याज एक नकदी फसल है। जिसमें विटामिन सी, फास्फोरस आदि पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। प्याज का उपयोग सलाद, सब्जी, अचार एवं मसाले के रूप में किया जाता है। हमारे देश में रबी एवं खरीफ दोनों ऋतुओं में प्याज लगाया जाता है। डॉ सिंह ने बताया कि प्याज शीतोष्ण जलवायु की फसल है। हल्के मौसम में इसकी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है। प्याज के अच्छे विकास के लिए 13 से 24 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान एवं 70% आर्द्रता की आवश्यकता होती है। प्याज के लिए दोमट एवं जलोढ़ मिट्टी जिसमें पर्याप्त कार्बनिक मात्रा एवं उचित जल निकास की सुविधा हो उचित रहती है। उन्होंने बताया कि प्याज की नर्सरी के लिए जून का महीना सर्वोत्तम होता है। उन्होंने कहा कि यदि किसान भाई वैज्ञानिक विधि से प्याज की खेती करते हैं तो एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में औसतन 300 से 350 कुंतल प्याज की उपज प्राप्त होगी। जिससे किसानों को लाभ मिल सकेगा।