संवाददाता।
कानपुर। नगर के कानपुर विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार पग पग पर व्याप्त है।विभाग की स्थापना जो जनहित में आमजन की मूलभूत आवश्यकताओं रोटी कपड़ा और मकान में से एक मकान की पूर्ति के लिए करी गई थी। जिसमे राष्ट्र के विकास के लिए राजस्व की प्राप्ति का भी उद्देश्य निहित था। जो किसानों से जमीन अधिग्रहण करके उन्हें छोटे छोटे भूखण्डों में परिवर्तित करके बिक्री करते हुए राजस्व प्राप्ति करते हुए राष्ट्र और आमजन को मजबूती प्रदान करना था। लेकिन विभाग की स्थापना के बाद न जाने जमीनों के कितने करोङो के घोटाले हुए जिसमे न तो राष्ट्र मजबूत हुआ न आमजन मजबूती मिली तो कुछ भृष्ट अधिकारियों कर्मचारियों को जिन्होने घोटालों के माध्यम से अपनी पुश्तों को आर्थिक मजबूती के सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा दिया। और कार्यवाही के नाम सिर्फ कुछ जांचे या कुछ दिनों के लिए निलम्बन ही हुआ है यहां तक कि पूर्व वीसी अरविंद सिंह की भी काफी शिकायतें रही जिनमे ग्रीन बेल्ट का भू प्रयोग परिवर्तन कर हजारों मीटर जमीन की प्लाटिंग कर दी गई थी जिसमे कुछ जांचे शासन से चल रही है। इसी कड़ी में एक खुलासा सामने आया है, यहाँ पर कम्प्यूटर सामग्री आपूर्तिकर्ता मनोज सिन्हा ने धोखाधड़ी करके लाखों रुपये का विभाग को वर्षों गम्भीर आर्थिक क्षति पहुँचाई है। इन्होंने पिछले 13 वर्षों से अनवरत फर्जी बिल प्रस्तुत करके भुगतान प्राप्त किया है। और इतना ही नहीं कार्यालय से डेस्कटॉप कम्प्यूटर तथा लेजर प्रिन्टर भी गायब है। वर्ष 2010 में ऑटोकैड के आठ फर्जी बिल प्रस्तुत करके भुगतान प्राप्त किया। वर्ष 2015 में चार पीस डेस्कटॉप कम्प्यूटर तथा दो पीस लेजर प्रिन्टर गायब किए। वर्ष 2017 में तीन पीस डेस्कटॉप कम्प्यूटर तथा एक पीस लेजर प्रिन्टर गायब किये। वर्ष 2019 में पांच पीस डेस्कटॉप कम्प्यूटर तथा दो पीस लेजर प्रिन्टर गायब किये। वर्ष 2022 में तीन डेस्कटॉप कम्प्यूटर तथा एक लेजर प्रिन्टर गायब किया गया है। इस घोटाले का पर्दाफाश संगीता जैन 9554148754 और अजय गुप्ता ने शिकायती प्रार्थना पत्र के माध्यम से मंडलायुक्त को करी है। इस भ्रष्टाचार ने लोकतंत्र के बुनियादों को गंभीर रूप से क्षति पहुँचाई है। न्याय की मांग को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।