100 करोड से ज्यादा की लग्जरी गाडियों का काफिला।
बोगस कंपनी बनाकर फर्जी चेक काटकर टैक्स चोरी का खेल।
कानपुर। तंबाकू कारोबारी के 14 प्रतिष्ठानों पर आयकर विभाग ने छापा मारकर गुरुवार देर रात जांच-पड़ताल की। कानपुर, दिल्ली, अहमदाबाद स्थित फैक्ट्री, गोदाम, कार्यालयों में 50 से अधिक अधिकारी जांच में लगे हुए थे। टीमों ने बड़े पैमाने पर दस्तावेज, लैपटॉप, मोबाइल आदि जब्त किया । आयकर विभाग ने आयकर में चोरी की आशंका पर छापे की कार्रवाई की है।
कानपुर के रामगंज—नयागंज स्थित बंशीधर श्रीराम फर्म के नाम से तंबाकू का कारोबार करते है। उनके कार्यालय शक्कर पट्टी स्थित होटल और आर्यनगर में स्थित आवास के साथ ही बने तीन प्रतिष्ठानों पर आयकर विभाग ने छापा मारा है। इसके साथ ही दिल्ली स्थित आवास पर भी छापा मारा। कंपनी मालिक केके मिश्रा की दिल्ली स्थित कोठी से 100 करोड़ से ज्यादा की कारें मिली हैं। इसमें 60 करोड़ से ज्यादा कीमत की लग्जरी कारें हैं। इनमें 16 करोड़ की रोल्स रॉयस फैंटम कार, लैंबोर्गिनी, फेरारी, मॅकलारेन कारें शामिल हैं।
छापेमारी में 100 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी सामने आने की सम्भाावना जताई जा रही है। छापेमारी में 5 करोड़ रुपए कैश और करोड़ों की बेनामी संपत्ति के डॉक्यूमेंट्स भी मिलनें से हडकम्प मचा हुआ हैं। आयकर अफसरों ने बताया कि कंपनी कानपुर की बड़ी गुटखा कंपनियों को तंबाकू सप्लाई करती है।
तंबाकू कंपनी ने सिर्फ 20 से 25 करोड़ का कारोबार दिखाया । लेकिन, अब तक की जांच में 150 करोड़ का कारोबार सामने आया है। पता चला है कि बोगस कंपनी बनाकर फर्जी चेक काटकर टैक्स चोरी का खेल किया जा रहा था।
सबसे बड़ी बात है कि कानपुर के इत्र कारोबारी पीयूष जैन जिसके घर से 200 करोड़ कैस बरामद हुआ था। उस पैटर्न पर टैक्स चोरी की जा रही थी। कानपुर से लेकर दिल्ली, मुंबई तक बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज मिले।
सूत्रों की माने तो रामगंज में कारोबारी का पुराना कार्यालय है। पहले आर्यनगर में रहकर कारोबार करते थे। काफी दिन पूर्व वह दिल्ली चले गए और अपने कारोबार को अहमदाबाद में स्थापित कर लिया। इनकी शहर में फैक्ट्री है। कारोबारी सभी प्रमुख पान मसाला कारोबारियों को बड़े पैमाने पर तंबाकू सप्लाई करते हैं।
आयकर के 50 से ज्यादा अधिकारियों की टीमों ने गुरुवार रात बंशीधर श्रीराम फर्म के रामगंज-नयागंज स्थित कार्यालय में छापामारा। बीते कुछ वर्षों के रिटर्न के मिलान में कारोबार बढ़ने के बाद भी कम कर चुकाया जा रहा था।