
संवाददाता।
कानपुर। होली का त्योहार सभी को रंगों से सराबोर कर देगा। 24 मार्च को होलिका दहन और 25 मार्च को रंगखेला होगा। इस बार होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा। ऐसे में शुभ मुहूर्त में ही होलिका दहन किया जाना अनिवार्य है। हालांकि इस बार होलिका पर कोई चंद्रग्रहण नहीं लग रहा है। वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक इस वर्ष फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 24 मार्च को सुबह नौ बजकर 54 मिनट से आरंभ होगी। जो 25 मार्च दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि और भद्रा रहित काल में करना शुभ माना गया है। ऐसे में होलिका दहन 24 को और होली 25 को खेली जाएगी। पंडित मनोज कुमार द्विवेदी (ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि इस बार होलिका दहन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। यानी इस दौरान होलिका दहन शुभ है। पंडित मनोज कुमार के अनुसार इस साल होलिका दहन सोमवार को किया जाएगा, लेकिन होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल शुभ नहीं माना जाता है और इस दौरान किसी भी तरह का पूजन और पाठ एवं शुभ काम करना ठीक नहीं होता है। पंचांग के मुताबिक 24 मार्च को सुबह से भद्राकाल लग जाएगी। यानि भद्राकाल का प्रारंभ सुबह नौ बजकर 54 मिनट से होगा। ये रात 11 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस तरह से भद्राकाल की समाप्ति के बाद ही होलिका दहन किया जा सकता है। ऐसे में 11.13 के बाद ही होलिका दहन का शुभ मुहूर्त मिलेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न जैसे गेहूं, जौ और चना की हरी बालियों को लेकर होलिका की अग्नि में समर्पित करें। इन बालियों को होलिका की पवित्र अग्नि में सेंके और परिवार के सभी सदस्यों को प्रसाद स्वरूप प्रदान करें। यह मान्यता है कि इससे घर में शुभ चीजों का आगमन होता है। इसके साथ ही होलिका की अग्नि को अतिपवित्र माना गया है, इसलिए लोग अग्नि को अपने घर ले जाते हैं और इसी आग से घर का चूल्हा जलाते हैं। मान्यता यह भी है कि इस अग्नि से अखंड दीप जलाया जाता है। होलिका दहन की राख से कष्ट दूर होने साथ सुख-समृद्धि भी आती है। होलिका दहन पर इस बार चंद्रग्रहण का भ्रम फैलाया जा रहा है। जबकि इस बार होली पर कोई चंद्रग्रहण नहीं है। जो चंद्रग्रहण नहीं बल्कि जो छाया लगने जा रहा है वह भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इसका सूतक काल भी मान्य नहीं है। इसलिए दान आदि करने की भी विधान मान्य नहीं रहेगा। ग्रहण दोष का भय मन से निकालकर रंगों का आनंद लें। पौराणिक मान्यतओं व कथाओं में होलिका के संबंध में कई तर्क व तथ्य मिलते हैं। कहा जाता है कि मुहूर्त में होलिका पूजन करने से संतान, धन-धान्य की प्राप्ति होती है। होलिका का पूजन विधि विधान से करने से रोग व दोष से छुटकारा मिलता है। घर व परिवार में सुख शांति रहती है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है। इस दिनों में शुभ और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।