संवाददाता।
कानपुर। नगर में कस्टम एंड एक्साइज कार्यालय में आयुक्त पद पर तैनात आईआरएस अधिकारी ने आरोप लगाया है कि हिंदी का प्रचार प्रसार करने पर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है। जहाँ एक तरफ नगर में हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी को बढ़ावा देने के लिए देशभर में खूब प्रचार प्रसार किया जा रहा है। इसका प्रचार प्रसार करने वाले महानुभावों को सम्मानित भी किया जा रहा है। वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी आयुक्त सोमेश तिवारी विभाग के सभी कार्यालयों में अधिकारियों को हिंदी के प्रति कार्य करने के लिए उत्साहित करते रहे हैं। आयुक्त का आरोप है कि हिंदी में कार्य करने से नाराज विभाग के उच्च अधिकारियों ने उनका तबादला आंध्र प्रदेश के गुंटूर में कर दिया है। आंध्र प्रदेश के गुंटूर में तबादला होने के बाद उन्होंने वहां पर जॉइन भी कर लिया। गुंटूर में नियुक्ति लेने के बाद भी उन्होंने हिंदी में काम बंद नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि हिंदी में काम करने के लिए एक हिंदी स्टेनो की मांग की तो उनको वह भी नहीं दिया गया। विभाग में हिंदी के प्रति इतना विरोध देखते हुए उन्होंने वित्तमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पत्राचार किया, लेकिन उनको कोई मदद नहीं मिली। परेशान होकर आयुक्त छुट्टी पर कानपुर आ गए। आयुक्त का आरोप है कि वित्त मंत्रालय और पीएमओ में मौजूद तमाम अधिकारी भी हिंदी विरोधियों के संरक्षक हैं। यही कारण है कि ईमानदार प्रधानमंत्री तक उनको बात नहीं पहुंचने दी जा रही है। इसके साथ ही उनका दावा है कि विभाग में तमाम वित्तीय भ्रष्टाचार भी किया जा रहा है यदि उसकी जांच हो जाए तो तमाम बड़े अधिकारियों के चेहरे उजागर हो जाएंगे। आयुक्त सोमेश तिवारी का कहना है राजभाषा का निरीक्षण करने के लिए आने वाले अधिकारी महज होटलों के ऐश ओ आराम तक ही सीमित रहते हैं। यदि निरीक्षण पर आने वाले अधिकारी कार्यालयों में कम्प्यूटर पर निरीक्षण कर लें तो सारी स्थिति सामने आ जाएगी।आयुक्त का दावा है कि अधिकारी मुख्यालय में जाकर जो 90 प्रतिशत हिंदी में हो रहे काम की रिपोर्ट देते हैं वह वास्तविकता में 10 प्रतिशत ही सही होती है। आयुक्त ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि यदि वह ध्यान दे देंगे तो हिंदी देश की राष्ट्रभाषा बनी रहेगी अन्यथा कुछ भ्रष्ट अधिकारी हिंदी को गर्त में पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।