संवाददाता।
कानपुर। नगर के सपा विधायक इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद उनकी कंपनी हमराज कंस्ट्रक्शन में भी विवाद खड़ा हो गया है। कंपनी में निदेशकों के बीच संपत्ति को लेकर खींचतान चल रही है। इसमें से एक निदेशक मो. वसीम राइडर ने कोर्ट की मदद से इरफान सोलंकी के चाचा समेत 4 लोगों के खिलाफ जाजमऊ थाने में बुधवार को रिपोर्ट दर्ज कराई है। आरोप है कि कंपनी में फर्जीवाड़ा करके 5 करोड़ रुपए हड़प लिया है। इरफान की पत्नी भी इस कंपनी में डायरेक्टर थीं, लेकिन विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। प्रेम नगर चमनगंज निवासी हमराज कंस्ट्रक्शन के निदेशक मो. वसीम राइडर ने बताया कि कंपनी की ओर से जाजमऊ के 921.92 वर्गमीटर जमीन 3.63 करोड़ में ली गई थी। इसमें मल्टीस्टोरी कॉम्पलेक्स बनाया गया था। आरोप है कि कंपनी के डायरेक्टर सपा विधायक इरफान सोलंकी के चाचा मेराज सोलंकी ने जमीन खरीदने के लिए रुपए लिया था, लेकिन नजदीकी मुशीर आलम के नाम पर बिल्डर एग्रीमेंट कराया। इससे यह बात साफ है कि उनकी नीयत में शुरू से ही खोट था। कॉम्पलेक्स का काम पूरा होने पर मेराज सोलंकी, मुशीर आलम, शफीक और उमर लारी ने बताया कि आपके हिस्से में 9 फ्लैट और छत हैं। इसमें से दो बिक चुके हैं, जिसका रुपया बिल्डिंग के निर्माण में ही लगा दिया गया है। इस पर वसीम राइडर ने कहा कि बिल्डिंग में पूरा पैसा मेरा लगा है और आप लोग सिर्फ आंशिक हिस्सेदार हो। आरोप है कि इस बात को लेकर सभी लोग भड़क गए और गाली-गलौज करने के साथ ही मारपीट पर उतारू हो गए। इतना ही नहीं असलहा निकालकर जान से मारने का भी प्रयास किया। लेकिन बाद में खुद को फंसता देख आरोपियों ने मो. वसीम के बेटे फरहान अंसारी के नाम पर पावर ऑफ अटार्नी 6 मार्च 2019 को कर दी। इसके बाद पार्टनरों ने धोखाधड़ी करके पावर ऑफ अटार्नी को कैंसिल करा दिया और पूरे फ्लैट बेच डाले। इसके बाद नसीम ने जमीन खरीदने से लेकर बिल्डिंग बनाने तक आरोपियों पर 5 करोड़ रुपए की ठगी करने का आरोप लगाया है। इस पर कोर्ट के आदेश पर जाजमऊ पुलिस ने मो. मेराज, मुशील आलम, शफीक उर्फ मान्यवर, उमर लारी और अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है। जाजमऊ थाना प्रभारी अरविंद सिंह ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। जांच के बाद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। मो. वसीम ने बताया कि उन्होंने ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर और पुलिस कमिश्नर से लेकर अन्य अफसरों से मिलकर पूरे मामले की जानकारी दी। इसके बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में मदद से आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है।