संवाददाता।
कानपुर। नगर में सपा विधायक इरफान सोलंकी के आगजनी कांड में अभियोजन पक्ष की बहस पूरी हो गई है। कोर्ट में 18 गवाहों के बयान पेश किए गए। सहायक शासकीय अधिवक्ता ने सभी गवाहों के बयान कोर्ट को पढ़कर सुनाए और विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट में ज्वलनशील पदार्थ पाए जाने की बात कही। वहीं बचाव पक्ष ने मामले में बहस शुरू की। कहा कि घटना के 24 घंटे बीतने के बाद क्यों पीड़िता ने थाने में शिकायत की। ये विधायक और उनके भाई को फंसाने के उद्देश्य से पूरी प्लानिंग के साथ किया गया है। डिफेंस कॉलोनी निवासी नजीर फातिमा की झोपड़ी में आग लगाने के आरोपी सपा विधायक इरफान सोलंकी व उनके भाई रिजवान सोलंकी के मामले में एमपी एमएलए सेशन कोर्ट में सुनवाई की गई। सहायक शासकीय अधिवक्ता भास्कर मिश्रा ने मामले में नजीर फातिमा के घर के चार, जनता के छह व सरकारी आठ गवाहों के बयान कोर्ट को पढ़ कर सुनाए। इसके साथ ही कन्नौज के विधि विज्ञान प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि प्रयोगशाला ने जांच में ज्वलनशील पदार्थ की पुष्टि की है। इसके साथ ही घटनास्थल के पास मिले जले हुए कपड़े, बांस व लकड़ी के टुकड़े की जानकारी दी। गवाहों व सबूतों के आधार पर सहायक शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि विधायक व उनके साथियों ने ही नजीर फातिमा के घर पर आग लगाई थी। सुनवाई में बचाव पक्ष के अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने बताया कि नजीर फातिमा न ही मकान में रहती थीं और न ही उनका कब्जा है। आरोप लगाते हुए कहा कि जो नजीर फातिमा की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई है, वो सलाह मशविरा करके सपा विधायक को फंसाने के उद्देश्य से लिखाई गई है। घटनास्थल से 1 किमी. दूर थाना होने के बावजूद 24 घंटे बाद रिपोर्ट दर्ज कराई गई। बचाव पक्ष ने बताया कि एफआईआर देर से दर्ज कराने के स्पष्टीकरण भी पीड़िता की ओर से नहीं पेश किया गया है। एफआईआर कपोल कल्पना के आधार पर लिखाई गई है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि बुधवार को निर्धारित की है।