November 23, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर में  मौसम बदलते ही वातावरण में वायरस फिर से सक्रिय होने लगा है। इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण यह वायरस सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित कर रहा है। जन्म से लेकर 15 साल तक के बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित है। इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज की हैलट अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 10 से 15% बच्चे वायरल फीवर के आ रहे हैं। डॉक्टर ने सलाह दी है कि अभी बच्चों को गर्म कपड़े पहनाना न छोड़े। कानपुर मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. यशवंत राय ने बताया कि इस समय बच्चों को तेज बुखार आ रहा है। पहले ही दिन से 101 से 103 तक बुखार चला जाता है, लेकिन ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि यह बुखार बच्चों या बड़ों सभी को अंदर से तोड़ देता है। इस कारण शरीर में कमजोरी आ जाती है। यह बुखार उतरने में लगभग एक हफ्ते का समय ले रहा है। बुखार आने के 2 से 3 दिन के अंदर तेज बुखार बना रहता है, फिर धीरे-धीर शरीर का तापमान कम होने लगता है। डॉक्टर के मुताबिक बच्चों को बुखार के साथ-साथ गले में भी संक्रमण हो रहा है। यदि बच्चे जरा सा भी खराश की समस्या बताते हैं तो उन्हें तुरंत चिकित्सक की परामर्श दिलाने के साथ उपचार शुरू कर देना चाहिए, क्योंकि यह वायरस गले के साथ-साथ फिर धीरे-धीरे फेफड़ों की तरफ बढ़ने लगता है। ऐसे में जब बच्चों की इम्युनिटी पावर कम होती है तो फिर यह वायरस और तेजी से फैलता है। अगर इस वायरस को सही समय पर ही दवा के माध्यम से रोक दिया जाए तो ही अच्छा है। डॉ. यशवंत राय के मुताबिक यदि शरीर में लाल चकत्ते और बुखार तेज हो तो फिर ऐसे में सावधान हो जाए, क्योंकि यह समस्या गंभीर हो सकती है, अगर केवल बुखार है तब तो घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन अन्य परिस्थितियों में बच्चों को जल्द से जल्द उपचार दिलाना चाहिए। हालांकि लाल चकत्ते वाले मरीज ओपीडी में बहुत कम देखने को मिल रहे हैं, लेकिन पूरी ओपीडी में एक से दो बच्चे ऐसे आ जाते हैं। ऐसे बच्चों में संक्रमण ज्यादा खतरनाक होता है। डॉ. यशवंत राय के मुताबिक जो लोग बच्चों को मेडिकल स्टोर या अन्य जगहों से दवा लेकर खिला देते हैं वह ज्यादा नुकसानदायक होती है, क्योंकि मेडिकल स्टोर वाले ज्यादा पावर की दवा देने लगते हैं। इससे बच्चों के शरीर को नुकसान पहुंचता है। कभी-कभी बच्चो में हाई पावर की डोज लेने से और भी कई दिक्कतें बढ़ जाती हैं। यदि बच्चे की आवाज में जरा सा भी परिवर्तन है, रोने में खर-खर की आवाज आती है या फिर सोते समय यह आवाज हो, अचानक से बच्चा खाना खाना छोड़ दे, अधिक चिड़चिड़ा होने लगे तो इन परिस्थितियों में तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर उपचार शुरू कर देना चाहिए। 

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