
संवाददाता।
कानपुर। नगर में महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ के भक्त शिवालयों में उमड़ पड़े। भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह के रूप में मनाए जाने वाले इस महाशिवरात्रि पर्व में लोग व्रत रख कर विशेष पूजन करने मंदिरों में पहुंचे । कानपुर में अलग-अलग शिव मंदिरों में सुबह हजारों भक्तों की भीड़ लाइन में दिखाई दी । मंदिर प्रांगण से लेकर 1 किलोमीटर दूर तक आते जाते लोग हर हर महादेव के जयकारे लगाते हुए दिखाई दिए। नगर के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में सिविल लाइन के परमट स्थित श्री बाबा आनंदेश्वर मंदिर को माना जाता है। जानकार बताते हैं कि यह 300 साल से भी ज्यादा पुराना शिव मंदिर है। यह मंदिर महाभारत काल के समय का बताया जाता है जिसके पीछे एक चमत्कारिक घटना भी जुड़ी हुई है। भक्तों की इस मंदिर मे विशेष आस्था है खासकर सावन और महाशिवरात्रि पर यहां लाखों लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। आनंदेश्वर मंदिर के कपाट देर रात्रि 2 बजे दर्शन के लिए खोल दिए गए। रात 12 बजे से ही भक्तों की लाइन लग गई। सुबह 5 बजे मंदिर में और बाहर लाइन तक तकरीबन डेढ़ से 2 लाख लोग दर्शन के लिए मौजूद थे। मंदिर के महंत वशिष्ठ पुरी महाराज ने बताया की महाशिवरात्रि पर यहां 7 से 8 लाख लोग दर्शन करने पहुंचते हैं। इस बार मंदिर प्रशासन ने 10 लाख भक्तों के दर्शन करने का अनुमान लगाया है। जिसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। जाजमऊ स्थित सिद्धनाथ मंदिर जो गंगा किनारे स्थापित है। इस मंदिर से जुड़ी भी महाभारत काल की कई मान्यताएं हैं। बताया जाता है जब एक बार राजा यायति सिद्धनाथ गंगा घाट पर यज्ञ कर रहे थे।भगवान शिव के शिवलिंग को स्थापित कर रहे थे। तभी वहां एक कौवे ने आकर किसी जीव की यज्ञ कुंड में हड्डी गिरा दी थी। यज्ञ भंग हो गया था। लेकिन भगवान शिव का स्थापित शिवलिंग यहां आज भी मौजूद है। महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में तकरीबन तीन से चार लाख लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। शुक्रवार को भी सुबह 4 बजे से लंबी कतारें दिखाई दी। गंगा स्नान करने के बाद लोग दर्शन करने भी पहुंचे। नवाबगंज स्थित चिड़ियाघर के पास जागेश्वर मंदिर में भी हजारों भक्त महाशिवरात्रि के मौके पर दर्शन करने पहुंचे। जागेश्वर बाबा का मंदिर एक टीले नुमा जगह पर बना हुआ है। जिस पर ऊंचाई पर चढ़ कर जाना पड़ता है। इस मंदिर से भी भक्तों की विशेष आस्था जुडी हुई है। महाशिवरात्रि के पर्व पर हजारों भक्त सुबह से ही दर्शन के लिए लाइन में दिखाई दिए। कानपुर शहर से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर खेरेश्वर मंदिर भी प्राचीन मंदिरों में माना जाता है। यहां की चमत्कारी घटना आज भी लोग देखते हैं। इस मंदिर में कई बार रिसर्च के लिए रिसर्च की कई टीम आई लेकिन चमत्कार जस का तस बना रहा। इस मंदिर की खास बात यह है कि जब रात्रि में भोग और आरती के बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद जब सुबह मंदिर खोला जाता है, तो वहां शिवलिंग पर फूल चढ़ा हुआ मिलता है। बताया जाता है की अश्वत्थामा आज भी यहां आकर प्रतिदिन सुबह फूल चढ़ाते है। इस मंदिर में भी दूर दराज से लोग दर्शन करने आते हैं। भक्तों में इस मंदिर से जुड़ी विशेष आस्था है। महापर्व शिवरात्रि पर भी सुबह से ही लोग लाइनों में दिखे । सुबह 4 बजे से ही भक्त यहां दर्शन के लिए उमड़ पड़े। कानपुर के नयागंज स्थित बाबा नागेश्वर महाराज का सैकड़ों साल पुराना मंदिर मौजूद है। इस मंदिर का जिक्र शिव महापुराण में भी किया गया है। यह शिव मंदिर शिव पंचायती मंदिर है। भगवान भोलेनाथ के पंच यहां पर पंचायत लगाकर देवी देवता व असुरों के बीच हुए विवाद का निस्तारण करते थे। भगवान शिव जो फैसला कर देते थे वहीं अंतिम फैसला होता था। नागेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष इंतजाम किए गए है। सुबह 5 बजे मंदिर के कपाट दर्शन के लिए खोल दिए गए ।सड़क पर लंबी भक्तों की कतार दिखाई दी। लोग हर हर महादेव ,हर हर बम बम के जयकारे लगा रहे हैं।