संवाददाता।
कानपुर। नगर मे मकर संक्रांति के अवसर पर नगर के लोगों ने सुबह उठकर सबसे पहले गंगा स्नान किया। इसके बाद कन्याओं व अपने मानदानों और ब्राह्मणों को चावल, दाल, गुड़, घी, तिल, लड्डू आदि का दान करके अपने स्वस्थ जीवन की कामना की। जगह-जगह पर खिचड़ी भोज का भी आयोजन किया गया। कानपुर के बिठूर घाट, अटल घाट, भैरव घाट, मौनी घाट, भगवत दास घाट समेत विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का सुबह से ही मेला लगने लगा। गंगा स्नान के लिए कानपुर के अलावा इटावा, हरदोई, सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी समेत विभिन्न जिलों के श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए आए। कड़ाके की ठंड में गंगा में लोगों ने डुबकी लगाई। इसके बाद घाट पर ही बैठे ब्राह्मणों को लोगों ने दान दिया तो किसी ने उनको खिचड़ी का भोज कराया। साथ में दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया। मकर संक्रांति के अवसर पर दान पुण्य करने का बड़ा महत्व है। पूरे देश में आज के दिन लोग दान पुण्य कर अपने स्वस्थ और मंगल की कामना करते हैं। आज के दिन काले तिल का दान सबसे अच्छा माना जाता है। काली उड़द की दाल, चावल, काले तिल या काले तिल के बने लड्डू, फल मिठाई का दान दिया जाता है। इसके साथ-साथ देसी घी भी जरूर दान की जाती है। मतलब की खिचड़ी में जितनी भी चीज पड़ती हैं उन सभी का दान किया जाता है। पं. गौरव तिवारी ने बताया कि हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है। हिंदू धर्म में सूर्य देवता को प्रत्यक्ष देवता माना गया है क्योंकि वह प्रतिदिन साक्षात रूप से सभी को दर्शन देते हैं। उन्होंने बताया कि ज्योतिष में सूर्य को नवग्रह का स्वामी माना जाता है और सूर्य अपनी नियमित गति से राशि परिवर्तन करता रहता है। सूर्य की इसी राशि परिवर्तन को ही संक्रांति कहा जाता है, जिनमें से मकर संक्रांति सबसे महत्वपूर्ण मानी गई है। आज के दिन लोग गंगा में स्नान करने के बाद तांबे के लोटे में तिल, रोली, अक्षत, लाल पुष्प, गुड आदि डालकर उसमें गंगाजल मिलाकर दोनों हाथों से सूर्य देव को समर्पित करते हैं। घाट के किनारे खड़े नाव वाले प्रभु श्री राम के नाम के झंडे लगाए थे। सभी नाव वालों ने इस बार यह काम किया। नाविक राजकुमार ने बताया कि अयोध्या में रामलला विराजमान हो रहे है। इसी खुशी में हम लोंगों ने प्रभु राम के नाम से झंडे लगाए है।