संवाददाता।
कानपुर। नगर की बिल्हौर तहसील के विभाजन की बात सामने आने पर इसका विरोध शुरू हो गया है। मंगलवार को तहसील के दोनों अधिवक्ता संगठनों ने तहसील विभाजन के विरोध में शासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जुलूस निकाला। साथ ही मंडलायुक्त से मामले को लेकर स्थिति साफ करने और प्रस्तावित विभाजन को रोके जाने की मांग की। बिल्हौर तहसील का गठन अंग्रेजों के शासन काल में 1901 में हुआ था। कुछ समय पूर्व तक 464 राजस्व ग्राम वाली यह तहसील प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील मानी जाती थी। 1998 में कानपुर देहात जिला बनाए जाने के साथ नवगठित रसूलाबाद तहसील में बिल्हौर तहसील क्षेत्र के 55 राजस्व ग्रामों को जोड़ दिया गया। तब भी अधिवक्ता संगठनों द्वारा विभाजन का विरोध किया गया था। वर्तमान में किसी अधिवक्ता संगठन या राजनीतिक संगठन के द्वारा मांग किए बिना ही शासन द्वारा तहसील का एक बार फिर विभाजन कर क्षेत्र के 144 राजस्व गांव काटकर नई तहसील का गठन अथवा सदर तहसील में सम्मिलित करने की खबरें आनी शुरू हो गई। बिल्हौर तहसील के अधिवक्ता संगठन बार एसोसिएशन और लॉयर्स एसोसिएशन अधिवक्ताओं ने तहसील के एक बार पुनः संभावित विभाजन पर जनहित और अधिवक्ता हितों को देखते हुए विभाजन का विरोध शुरू कर दिया। विरोध के क्रम में मंगलवार को एक बार फिर दोनों संगठनों के अध्यक्ष रविनेश यादव व दीपक कटियार और महामंत्री जनार्दन यादव व शिवशरण तिवारी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन करते हुए शासन के खिलाफ नारेबाजी की गयी। अधिवक्ता संगठनों ने मंडलायुक्त को संबोधित ज्ञापन तहसीलदार को सौंपते हुए तहसील के विभाजन की खबरों पर स्थिति स्पष्ट करने और विभाजन की स्थिति में उसे रोके जाने की मांग की। इस दौरान अनिल पांडेय, चंद्र कांत शुक्ला, आलोक मिश्रा टुन्नू ,प्रभाकर अवस्थी, रजनीश द्विवेदी, अभिषेक पांडेय, भोजराज भदौरिया, अमित तिवारी, सुबोध यादव, जगत यादव , अमित श्रीवास्तव, अमित अग्निहोत्री, शैलेंद्र अग्निहोत्री आदि लोग मौजूद रहे।