
संवाददाता।
कानपुर। नगर में लोकसभा सीट को लेकर घमासान मचा हुआ है। भाजपा ने जहां अभी तक प्रत्याशी का एलान नहीं किया है। वहीं सपा-कांग्रेस गठबंधन में भी बेचैनी बढ़ती जा रही है। कांग्रेस के पूर्व विधायक अजय कपूर के जाने के बाद कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। वहीं इंडिया गठबंधन भी इस सीट को लेकर नए समीकरण बनाने में जुट गया है। अगले 48 घंटे इस सीट के लिए बेहद निर्णायक होने वाले हैं। 20 मार्च को दिल्ली में कांग्रेस पीसीसी की बैठक राहुल गांधी की अध्यक्षता में होनी है। वहीं आज लखनऊ में सपा मुख्यालय में अखिलेश यादव 20 सीटों पर मंथन कर रहे हैं। कानपुर सीट को लेकर अब चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। सपा-कांग्रेस गठबंधन में कानपुर सीट कांग्रेस के खाते में गयी है। सूत्रों के मुताबिक सहमति के आधार पर अब सपा अपना यहां से प्रत्याशी उतार सकती है। सपा कोई एक सीट कांग्रेस को दे सकती है। ये इसलिए भी संभव है कि कानपुर में चौथे चरण में चुनाव है। ऐसे में पार्टियों के पास पर्याप्त समय है, अपनी जमीन तैयार करने के लिए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष नौशाद आलम मंसूरी के मुताबिक पार्टी की कल पीसीसी की बैठक होनी है। इसमें आलोक मिश्रा, नरेश चंद्र त्रिपाठी, पवन गुप्ता और मदन मोहन शुक्ला का नाम फाइनल लिस्ट में माना जा रहा है। वहीं कांग्रेस नेता अंबरीश सिंह गौर ने बताया कि पार्टी जो निर्णय लेगी, गठबंधन उसे मजबूती से लड़ाएगा। हालांकि उन्होंने भी सीटों के बंटवारे को नए सिरे से होने को लेकर इंकार नहीं किया। वहीं सपा के खाते में सीट जाती है तो विधायक अमिताभ बाजपेई का नाम फाइनल माना जा रहा है। वहीं श्रीप्रकाश जायसवाल का न होना प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस को जमकर अखर रहा है। समाजवादी पार्टी से विधायक अमिताभ बाजपेई का नाम तेजी से चल रहा है। उनके मुताबिक अगले 48 घंटे में पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। वहीं सपा ने कांग्रेस प्रत्याशियों को लेकर भी अंदरखाने सर्वे कराना शुरू कर दिया है। अजय कपूर के जाने के बाद सपा अब कानपुर सीट पर मजबूत पोजिशन पर आ चुकी है। ऐसे में दोनों ही पार्टियां कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। कानपुर सीट की बात जातिगत आधार पर की जाए तो अमिताभ बाजपेई जातीय समीकरण में बिल्कुल फिट बैठते हैं। यहां कुल 6.5 लाख ब्राह्मण मतदाता हैं। इसमें कान्यकुब्ज और सरयू पारीण भी हैं। इसके अलावा युजुर्वेदी, अग्निहोत्री, कश्मीरी, सारस्वत, मारवाड़ी ब्राह्मण, गौड़, मैथिल व मराठी ब्राह्मण मतदाता शामिल हैं। इसके अलावा सपा के पास ओबीसी मतदाता भी 10% के करीब है।