
संवाददाता।
कानपुर। नगर में इलेक्ट्रिक लोको शेड कानपुर ने टॉयलेट युक्त पहला यात्री ट्रेन इंजन तैयार किया है। मंडल विद्युत अभियंताओं की महीनों की मेहनत रंग लाई है। इसके बाद टॉयलेट युक्त ट्रेन इंजन शताब्दी, तेजस, वंदेभारत, राजधानी जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों में लगाया जाएगा। महिला लोको पायलट को अब स्टेशनों पर टॉयलेट के लिए उतरना नहीं होगा। टॉयलेट युक्त यात्री ट्रेन इंजन को कानपुर स्थित इलेक्ट्रिक लोको शेड में तैयार किया गया है। शुक्रवार को टॉयलेट युक्त यात्री ट्रेन इंजन का मॉडल पटियाला में लग रही प्रदर्शनी में रवाना कर दिया गया है। रेलवे बोर्ड सदस्य (ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक,दिल्ली ) सतीश कुमार 21 मार्च को पटियाला में लगने वाले रेल प्रदर्शनी में कानपुर से भेजे गए टॉयलेट युक्त यात्री ट्रेन इंजन का लोकार्पण करेंगे। इलेक्ट्रिक लोको शेड के स्टाफ ने वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता राहुल त्रिपाठी और मंडल विद्युत अभियंता आलोक मिश्र की अगुवाई में नया यात्री ट्रेन इंजन को टॉयलेट युक्त बनाया है। कई बार ऐसा होता है लोको पायलट स्टेशन पर फ्रेश होते हैं। लेकिन ट्रेन चलाने के दौरान भी उन्हें वॉशरूम जाने की नौबत आ जाती है। ऐसे में वह फौरन कंट्रोल रूम में सूचना करते हैं। कंट्रोल रूम से उन्हें आने वाले स्टेशन में ट्रेन रोकने की परमिशन मिल जाती है। वह स्टेशन में जाकर फ्रेश हो जाते हैं। हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है। अगर ऐसा होता भी है तो एक या दो घंटे के भीतर कोई ना कोई स्टेशन आता ही है। ऐसे में लोको पायलट स्टेशन उतर कर फ्रेश समय-समय पर होते रहते हैं। लेकिन कुछ ट्रेन ऐसे होते हैं जैसे गरीब रथ या फिर राजधानी जो लंबे समय तक चलती हैं। कुछ ट्रेन हैं जो रात भर चलती हैं, जैसे राजधानी, दूरंतो या फिर गरीब रथ। इन ट्रेनों के लोको पायलट कंट्रोल रूम को सूचना देकर ट्रेन को चंद सेकेंड के लिए ट्रैक पर खड़े होकर फ्रेश हो लेते हैं, हालांकि उन्हें कंट्रोल रूम से जब तक सूचना नहीं मिलती तब तक वह ट्रेन को नहीं रोक सकते हैं। रेड सिग्नल मिलने पर ही ट्रेन को रोकते हैं।