संवाददाता।
कानपुर। नगर में आज रविवार को कानपुर मेडिकल कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. हामिद अशरफ ने बताया कि हमारे द्वारा एक शोध करने पर पता चला कि 15% बच्चे ऐसे हैं जिनमें ग्रोथ हार्मोंस की दिक्कत है। ऐसे बच्चों की हाइट नहीं बढ़ पाती है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण एनीमिया, कुपोषण। लेकिन, अब इसका इलाज संभव है। हार्मोंस के इंजेक्शन के माध्यम से बच्चों को उनकी असली हाइट तक पहुंचा जा सकता है। इस संगोष्ठी का आयोजन जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग, एंडॉक्रिनलॉजी विभाग व इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की गई थी। कार्यशाला का उद्घाटन प्रधानाचार्य डॉ. संजय काला, उप प्रधानाचार्य डॉ. रिचा गिरी ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया।उन्होंने बताया कि जब बच्चा पेट में आता है तो उस समय मां के न्यूट्रिशन पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है। मां किस तरह का न्यूट्रिशन ले रही है उसी हिसाब से बच्चे के हार्मोंस का भी ग्रोथ होता है और फिर इसके बाद जन्म से लेकर 2 साल तक के बच्चों की न्यूट्रिशन पर भी उसके हार्मोंस की ग्रोथ निर्भर करती हैं, जब 2 साल के बाद हार्मोंस ग्रोथ नहीं करते हैं तो ऐसे में फिर बच्चों को डॉक्टरों की सलाह से इलाज करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कुछ हार्मोंस इंजेक्शन के माध्यम से हम बच्चों के अंदर हार्मोंस को ग्रोथ करा सकते हैं। यह इंजेक्शन दर्द रहित होते हैं। प्रति 10 किलो वजन वाले बच्चों में प्रतिदिन 200 रुपये का एक इंजेक्शन लगता है। इस इंजेक्शन को 15 साल की उम्र तक दे सकते हैं। इस इंजेक्शन के लगने के बाद हम बच्चे को उसकी असली हाइट तक पहुंचा सकते हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर डॉ. आयशा अहमद ने ग्रोथ हार्मोन के ट्रीटमेंट पर चर्चा करते हुए बताया कि हम बच्चे का ट्रीटमेंट किस ढंग से करें। उन्होंने बताया की ग्रोथ हार्मोंस में जो इंजेक्शन लगते हैं, दक्षिण भारत में वह इंजेक्शन सरकार मुफ्त में उपलब्ध कराती है, लेकिन अभी अपने यूपी में ऐसी सुविधा नहीं है। इस कारण बहुत से परिवार ऐसे भी हैं जो इस इंजेक्शन का खर्च नहीं उठा पाते हैं।