संवाददाता।
कानपुर। नगर में इंडो जर्मन प्रोजेक्ट के तहत कानपुर पहुंची जर्मनी की टीम ने कानपुर में सीओडी नाले का निरीक्षण किया। गंगा में जाने वाले सॉलिड वेस्ट को रोकने के लिए यहां बूम बैरियर बनाया गया है। इसके अलावा सरायमीता में जर्मनी के सहयोग से मैटेरियल रिकवरी फैसिलिटी प्लांट बनाया जा रहा है। यहां विशेष मशीन के जरिए कूड़े से प्लास्टिक, लोहा, मलबा और अन्य मैटेरियल अलग-अलग किया जाएगा। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. अमित सिंह ने बताया कि इंडो जर्मन प्रोजेक्ट के हेड क्रिस्टिन कैपफेसिटीनीयर और उनकी टीम आई थी। सबसे पहले वे कृष्णा नगर स्थित कूड़ा अलग करने के मैनुअल प्रॉसेस को देखने गए थे। इसके बाद सीओडी नाला और फिर पनकी सरायमीता में निर्माणाधीन एमआरएफ प्लांट का निरीक्षण किया। यहां करीब 60 फीसदी सिविल कार्य पूरा किया जा चुका है। डा. अमित सिंह के मुताबिक सरायमीता में प्लांट का काम पूरा होते ही जर्मनी से मशीन कानपुर भेजी जाएगी। इसके बाद आसपास के 3 वार्डों का कूड़ा इसी प्लांट में अलग-अलग कर निस्तारित किया जाएगा। इस प्लांट में रोजाना करीब 5 मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारित किया जा सकेगा। पनकी, सरायमीता, आवास विकास-3 वार्ड से कूड़ा प्लांट में भेजा जाएगा। भारत सरकार के स्तर पर इंडो-जर्मन प्रोजेक्ट ऐसे कचरे को समुद्र में जाने से रोकने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसी प्रोजेक्ट के तहत भारत और जर्मन के पर्यावरण विशेषज्ञ गंगा के जरिए समुद्र के मरीन वाटर में बढ़ रहे प्रदूषण को रोकने पर काम कर रहे हैं। इसके तहत देश में कानपुर, पोर्टब्लेयर और कोच्चि को ही चुना गया है।