October 17, 2025

ग्वालटोली तथा शिवाला में फाग गायन के साथ शुरू होता है होली हा उत्सव।

कानपुर नगर। होली जैसा ह्रदय को आनन्दित करने वाला कोई दूसरा पर्व नही है। रंगो से सराबोर लोग एक दूसरे के गले मिलके आपसी एकजुटता, प्रेम और सौहार्द का संदेश देते है। हिंदू धर्म में होली महत्वपूर्ण स्थान रखती है। कानपुर में इसका बडा ही एतिहासिक महत्व है। पूरे देश में होली एक या फिर दो दिन मनाई जाती है लेकिन कानपुर में होली पूरे सात दिनों की होती है और अंत में अनुराधा नक्षत्र में पडने वाले मेले के साथ होनी का समापन होता है। वर्तमान में युवाओं में होली को लेकर गाना-नाचना मात्र रह गया है, होली की पुरानी परम्पराओं से आज का युवा दूर होता जा रहा है और कई लोग होली में घर से बाहर तक नही निकलते। ऐसे में कानपुर नगर में आज भी कुछ  स्थानों पर होली परम्परागत ढंग से फाग गीतों की मधुर फुहार के साथ मनाई जाती है।

                कानपुर के ग्वालटोली तथा शिवाला में होली की शुरूआत फाग गीतों को गाकर होती है। जहां शिवाला में द्विवेदी परिवार द्वारा इस परम्परा को आज भी जीवित रखा गया है तो वही ग्वालटोली में दिनेश तिवारी द्वारा लगातार वर्ष दर वर्ष इस परम्परा का निर्वाहन किया जा रहा है। दिनेश तिवारी बताते है कि उन्हे यह कला उनके पिता द्वारा प्राप्त हुई है। दिनेश स्वयं डीजी कालेज में क्लर्क है लेकिन उन्होने यह कला अपने दो पुत्रों को भी दी  है । एक पुत्र सेना में अधिकारी है तो दूसरा अभी अध्यनरत है। ग्वालटोली की फाग मंडली में दिनेश तिवारी, लिटिल तिवारी, मनीष, लम्मन, बम शंकर, हरीओम, कालिका प्रसाद, महेश, राजन, राजेन्द्र्र आदि लोग है तो वही शिवाला फाग टोली में कैलाश, दउआ, लल्लू मिश्र, रमा शंकर अवस्थी, मुन्नु द्विवेदी आदि लोग शामिल है। दिनेश ने बताया कि सबसे पहले बंसत के दिन फाग की शुरूआत मंदिर से ढोलक पूजन के साथ की जाती है तथा होलिका जलने के स्थान पर भी फाग गाई जाती है। परेवा को फाग की टोली घर-घर पहुंचती है और फाग गाती है। इस प्रकार आपसी प्रेम और सौहार्द के साथ होली मनाई जाती है। दिनेश तिवारी ने कहा कि अब फाग रस के प्रेमी कम बचे है, कारण यह है कि नए युवा इस विधा में दिलचस्पी नही दिखाते ऐसे में कहा जा सकता है कि नगर में फाग अपने अंतिम चरण में है। बताया कि फाग में भगवान राम, श्रीकृष्ण, महाभारत की फागे गाई जाती है। कुछ फागो में भींजत कुंजन से दोउ आवत, वृंदावन बेली, वृंदावन श्याम बिहार करें आदि फागों का गायन किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related News