संवाददाता।
भूपेन्द्र सिंह।
कानपुर। आईपीएल के मैचों में अधिकारियों और कर्मचारियों की डयूटी बाटंने और मेरठ क्रिकेट एसोसिएशन के अधिकारी का जबरन इस्तीफा लेना यूपीसीए के पूर्व सचिव के लिए परेशानी का सबब बन गया है। आईपीएल का आयोजन अब यूपीसीए के लिए महाभारत का मैदान बन गया है। गुरुवार को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में कर्मचारियों और अधिकारियों की डयूटी लगवाने के लिए संघ के पूर्व और वर्तमान पदाधिकारियों की बैठक की गयी थी! यूपीसीए के सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान पूर्व सचिव युद्धवीर सिंह और वर्तमान सचिव अरविन्द श्रीवास्तव मेरठ में एक पदाधिकारी को जबरन इस्तीफा देने के लिए मजबूर करने को लेकर विवाद शुरु हो गया। इसी बीच पूर्व सचिव ने कर्मचारियों की डयूटी की तैनाती को लेकर निर्णय सुनाया तो वर्तमान सचिव को यह बात बर्दाश्त नही हो सकी और दोनों के बीच गाली- गलौच शुरु हो गयी। पूर्व सचिव ने अपना प्रभाव दिखाते हुए सचिव अरविन्द को लगभग लताडते हुए उन जैसे 365 लोगों को अपने इर्द –गिर्द नाचने की चुनौती दे डाली। सचिव अरविन्द श्रीवास्तव ने भी उनको किस हैसियत से निर्णय लेने जैसे वाक्यों से नवाज दिया। इन सब बातों को लेकर मामले ने तूल पकड लिया। मामला हाथापाई तक जा पहुंचा तो वहां मौजूद संघ के तमाम अधिकारियों ने बीच-बचाव करने का काम किया लेकिन तब तक मामला बहुत ही आगे निकल चुका था और सचिव ने अपने पद से इस्तीफे की बात कहनी शुरु की दी थी।गौरतलब है कि दोनों सचिवों के बीच बीते लगभग एक सालों से शीत युद्ध जैसी प्रक्रिया चल रही है। पूर्व सचिव कतई नही चाहते थे कि संघ का सचिव पद अरविन्द के पास रहे लेकिन मजबूरी वश वह इसे झेल रहे थे। अभी हाल ही में उन्हे कई कमेटियों की देखरेख की जिम्मेदारी मिली थी जिसके चलते वह सचिव को अपने अरदब में लेने की पुरजोर कोशिश में लग गए थे। अब इस महाभारत के चलते कर्मचारियों की तैनाती का निर्णय टाल दिया गया है। यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मेरठ क्रिकेट का विवाद का निर्णय लेने का अधिकार पूर्व नही बल्कि वर्तमान सचिव का है जिसे पूर्व सचिव अपना मालिकाना हक समझकर सारे निर्णय ले रहे हैं।इस महाभारत से संघ की छवि धूमिल हो रही है। अब शीर्ष नेतृत्व अध्यक्ष ही इस बारे में कोई निर्णय लेने के अधिकारी होंगे।
