संवाददाता।
कानपुर। प्रदेश में 6 डिफेंस कॉरिडोर बन रहे हैं। डिफेंस कॉरिडोर स्थलों की सूची में कानपुर भी शामिल है। अडानी ग्रुप की डिफेंस एंड एयरोस्पेस फैक्ट्री शुरू हो चुकी है। यहां यूएवी ड्रोन भी तैयार हो रहे हैं। एआई तकनीक की मदद से काम करने वाले ड्रोन भारतीय सेना के बेड़े में जल्द शामिल होंगे। दुश्मन की टोह लेने के साथ ये ड्रोन उनके ठिकानों को ध्वस्त करने में सक्षम हैं। खबर में आगे बढ़ने से पहले कानपुर डिफेंस कॉरिडोर के बारे में जान लीजिए। 500 एकड़ में फैले इस मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट के लिए अडानी ग्रुप करीब 3 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। यहां अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस काम कर रही है। यहां काउंटर ड्रोन, खुफिया-रेकी टेक्नोलॉजी और साइबर रक्षा के क्षेत्र में हथियार बनाए जा रहे हैं। कंपनी आर्म्ड फोर्सेस, पैरामिलीट्री फोर्सेस और पुलिस के लिए एम्यूनिशन यानी गोला-बारूद बनाएगी। बता दें कि कानपुर के अलावा झांसी, चित्रकूट, आगरा और अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर तैयार हो रहे हैं। अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस भारतीय सेना के लिए यूएवी ड्रोन तैयार किए हैं। ये ड्रोन मानव रहित होंगे। ये दुर्गम पहाड़ियों पर सैकड़ों फीट की ऊंचाई से दुश्मन के मूवमेंट की वीडियो-फोटो भेज सकते हैं। सामान को पहुंचा जा सकते हैं। वक्त पड़ने पर मिसाइल अटैक कर सकते हैं। सेना इनका ट्रायल कर सकती है। एआई तकनीक आधारित ड्रोन है। इसमें हाई डिफिनेशल क्वालिटी का कैमरा लगा है। ये वीडियो फीड और सर्विलांस के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। दुश्मनों पर मिसाइल अटैक के लिए तैयार किया गया है। ड्रोन पैराशूट से लेस है। सामान भी एक जगह से दूसरी जगह ले जा सकता है। इसकी खासियत है कि एक साथ मधुमक्खियों की तरह एक साथ कई ड्रोन उड़ सकेंगे। ये निगरानी या फिर स्टिंग करने के लिए तैयार किए गए हैं। ड्रोन को सर्विलांस के लिए तैयार किया गया है। यह ड्रोन आदमी, व्हीकल, पेड़ और पहाड़ को आसानी से डिटेक्ट कर लेगा। ड्रोन को माल वाहक के तौर पर डिजाइन किया गया है। सेना की जरूरत का सामान एक जगह से दूसरी जगह पर आसानी से पहुंचाने का काम करेगा। स्नैप एक्स ड्रोन महज 2 किलो वजन का है। यह ड्रोन हजारों मील ऊपर से जमीन की निगरानी करने में सक्षम है। इसका इस्तेमाल सेना में सर्विलांस के लिए किया जाएगा। एआई तकनीक से लैस ड्रोन डे और नाइट में काम कर सकता है। इसमें नाइट विजन कैमरे लगे हैं। अडानी ग्रुप के एमडी करण अडानी ने बताया कि दक्षिण एशिया के सबसे बड़े हथियार और गोला-बारूद कॉम्प्लेक्स में फेजवार काम जारी है। 2026 तक आर्टिलरी और टैंक के लिए गोला-बारूद बना सकेंगे। यहां हल्की मिसाइलें और ड्रोन बनाने का भी काम हो रहा है। यूपी में कॉरिडोर की 6 नोड्स अलीगढ़, आगरा, कानपुर, लखनऊ, झांसी और चित्रकूट हैं। लखनऊ में ब्राह्मोस एयरोस्पेस, झांसी में बीडीएल, टाटा टेक, ग्लोबल इंजीनियरिंग, अलीगढ़ में शंकर रिसर्च लैब और कानपुर में अडानी डिफेंस, अनंत टेक्नोलॉजी और जेनसर में काम शुरू हो चुका है। कानपुर की फैक्ट्री का काम 15 महीने में पूरा हो गया। भारत अब तक विदेशों से आयात पर निर्भर था। इस कॉम्प्लेक्स में हर साल 15 करोड़ राउंड एम्यूनिशन बनेंगे, जो सेना की जरूरतों का एक चौथाई है। यहां 2025 तक 2 लाख राउंड लार्ज कैलिबर आर्टिलरी और टैंक एम्यूनिशन बनेंगे। 2026 तक 50 लाख मीडियम कैलिबर एम्यूनिशन भी बनेंगे। यहां शॉर्ट और लॉन्ग रेंज मिसाइलें भी बनेंगी। जल्द ही आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस डिपार्टमेंट से एक एमओयू होगा।