July 27, 2024

संवाददाता।
कानपुर। नगर में कैलाश पति मंदिर जहां उत्तर भारत का सबसे बड़ा सफेद शिवलिंग मौजूद है। इस मंदिर को बनाने से लेकर के मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश होने तक की अनोखी कहानी है। रोजाना यहां भक्त दर्शन करने पहुंचते हैं। सावन के सोमवार की बात की जाए, तो यहां हजारों भक्त शिवलिंग के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में मनोकामना पूर्ण होने के पीछे एक मान्यता भी जुड़ी हुई है। जिसे पूरा करने के बाद मनोकामना पूर्ण होती है। कैलाश पति मंदिर जो तकरीबन 110 साल पुराना है। इस मंदिर के पीछे एक अनोखी कहानी भी जुड़ी हुई है। लोग बताते हैं कि मुगलकाल में यहां मुगलों का हाता हुआ करता था । लेकिन अंग्रेजों का शासन आने के बाद इस हाते के मालिक गुरु प्रसाद शुक्ला हो गए। मंदिर समिति के महामंत्री हर्षवर्धन बाजपेई ने मंदिर बनाए जाने की कहानी सुनाई। समिति के महामंत्री हर्षवर्धन बाजपेई ने बताया कि गुरु प्रसाद शुक्ला जिनका कोई भी वारिस नहीं था। उन्होंने इस पूरे परिसर को ट्रस्ट बना दिया था, जहां पर 2500 से ज्यादा लोग रहते हैं। सौ साल से अधिक समय पहले की बातें जो बुजुर्गों से सुनी है। लोग बताते थे की गुरु प्रसाद शुक्ला जी को स्वपन आया कि यहां मंदिर बनवाया जाए। उन्होंने यहां पर एक भव्य मंदिर बनवाया । मंदिर में स्थापित कराई जाने के लिए एक शिवलिंग भी बनवाया गया। लेकिन जब शिवलिंग मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करने के लिए लाया गया। तो शिवलिंग बड़ा होने के कारण गर्भ गृह में प्रवेश नहीं हो सका। तकरीबन 12 से 15 दिन तक गर्भगृह में शिवलिंग प्रवेश कराए जाने की हर कोशिश की गई, लेकिन लोग नाकाम रहे। इसके बाद दुखी होकर गुरु प्रसाद शुक्ल ने शिवलिंग को सरसैया घाट के पास रखवा दिया। मंदिर में शिवलिंग के प्रवेश न होने के कारण वह दुखी हो गए ,उन्होंने अन्न त्याग दिया। कुछ दिनों बाद उन्होंने अन्न और जल दोनों ही त्याग दिया उसके बाद गुरु प्रसाद शुक्ला को फिर से स्वपन आया की मंदिर में शिवलिंग को ले जाकर गर्भगृह में प्रवेश कराओ। शिवलिंग को सरसैया घाट से मंदिर लाया गया और शिवलिंग गर्भगृह में प्रवेश कर गए। चमत्कार तब हुआ की शिवलिंग गर्भगृह में प्रवेश करते ही शिवलिंग का मुख गंगा जी की ओर अपने आप घूम गया। इसके बाद से यहां पर पूजन पाठ शुरू हो गया। लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ गई आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होने लगी। कैलाश पति मंदिर में उत्तर भारत का सबसे बड़ा सफेद शिवलिंग है। जानकारों की मानें तो सफेद शिवलिंग सनातनी का प्रतीक माना जाता है। मंदिर समिति के महामंत्री ने बताया कि इस शिवलिंग का विशेष महत्व है। शिवलिंग का गंगा जी की तरफ मुख होना भी अपने आप में विशेष महत्व रखता है। कैलाशपति मंदिर के शिवलिंग में 16 सोमवार लगातार जलाभिषेक करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। हर्षवर्धन बाजपेई ने बताया कि इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां पर कोई भी व्यक्ति यदि 16 सोमवार लगातार अपनी मनोकामना मानकर जलाभिषेक करें, तो वह जरूर पूरी होती है। इस मंदिर की मान्यता में कन्याओं के विवाह को लेकर भी माना जाता है, कि यदि यहां कन्या 16 सोमवार केवल जलाभिषेक निरंतर करती है ,तो उसकी विवाह की बाधा दूर हो जाती है। मंदिर समिति के अध्यक्ष अविनाश चंद बाजपेई ने बताया ने कि कैलाशपति मंदिर में पूरे देश भर से भक्त आते हैं। केवल सावन के सोमवार की बात की जाए, तो यहां 25 से 30 हजार लोग दर्शन करते हैं। कैलाशपति मंदिर और यहां के भक्त गोरखपुर, मुंबई ,बनारस ,गुजरात वृंदावन ,नोएडा के अलावा कानपुर के आसपास के जिलों से दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर से मनोकामना पूर्ण होने के बाद इस मंदिर से कई परिवार ऐसे हैं, जो कई पीढियां से लगातार यहां आते हैं। जो देश के अलग-अलग प्रदेशों और शहरों में रहते हैं। सावन के सोमवार के लिए यहां विशेष तैयारी की जाती हैं। सुबह 4:30 बजे मंदिर दर्शन के लिए खोल दिया जाता है। दोपहर 1 बजे भोग और आरती के लिए पट बंद होते हैं। शाम 4:30 बजे से पट दोबारा दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। कैलाश मंदिर जीर्णोदार समिति के सदस्य और पदाधिकारी निरंतर सेवा में लगे रहते हैं। जिसमे पदाधिकारी के साथ सदस्य सनी सोनकर ,निर्मल सिंह, गोविंद चौरसिया मुख्य हैं। 

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