संवाददाता।
कानपुर। नगर में सर्दी का कहर दिन पर दिन बढ़ रहा है। जैसे-जैसे तापमान शून्य की ओर बढ़ रहा है वैसे-वैसे अस्पतालों में मरीजों का लोड भी बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सभी अस्पतालों की इमरजेंसी में मरीजों को देखते हुए स्टाफ भी बढ़ाया गया। डॉक्टरों की ड्यूटी भी बढ़ाई गई है। कानपुर के कार्डियोलॉजी हॉस्पिटल, हैलट हॉस्पिटल, मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल, जिला अस्पताल उर्सला में मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की हालत गंभीर देखने को मिल रही है। वहीं, सबसे ज्यादा इजाफा दिल के मरीजों में हुआ है। कार्डियोलॉजी अस्पताल की इमरजेंसी में आम दिनों में लगभग 60 से 80 मरीज रोज पहुंचते थे, लेकिन इन दिनों यह आंकड़ा 150 के पार पहुंच चुका है। बीते 24 घंटे की बात करें तो डेढ़ सौ से अधिक मरीज इमरजेंसी में आ चुके हैं। इनमें से 70 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है। डॉ. राकेश कुमार वर्मा ने बताया, अटैक की समस्या 22 साल से अधिक हर उम्र के लोगों में देखने को मिल रही है। इस ठंड में जो सबसे ज्यादा बाहर रहता है उसे दिल की समस्या हो सकती है। युवा अधिकतर ठंड में बाहर काम करते रहते हैं। इसलिए इन दिनों 22 साल से लेकर 50 साल तक के लोगों में अटैक पड़ने की संभावना अधिक देखने को मिलती है या फिर यह समस्या उनमें आ रही है जो बहुत ही बुजुर्ग है। इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज की हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में रोजाना 10 से 12 मरीज आ रहे हैं। कई मरीज बेहोशी की हालत में पहुंच रहे हैं। मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. जेएस कुशवाहा के मुताबिक जिन मरीजों में बीपी और शुगर की शिकायत है। ऐसे मरीज अपने बीपी को कंट्रोल में रखें। बिना डॉक्टर की परामर्श के बीपी की दवा ना ले। डॉ. कुशवाहा के मुताबिक जो युवा अधिक स्मोकिंग और शराब का सेवन करते हैं, उनमें ब्रेन हेमरेज की शिकायत अधिक आ रही है। लगभग 20% युवा ऐसे हैं जो स्मोकिंग और शराब दोनों का सेवन करते हैं। 10% युवा ऐसे हैं जो तनाव में रहने के कारण उनको बीमारी अटैक करती है। 10% युवा ऐसे हैं, जिनका कोलेस्ट्रॉल हमेशा बड़ा रहता है। ऐसे में ब्रेन हेमरेज होना स्वभाविक हो जाता है। कानपुर जिले में बढ़ रही ठंड की वजह से अब कमजोर फेफड़े वाले मरीजों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे मरीजों की संख्या आम दिनों के मुताबिक 25 से 30% बढ़ चुकी है। कानपुर के मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में इन दिनों कानपुर के अलावा आसपास के जिलों से भी मरीज आ रहे हैं। इन सभी मरीजों में फेफड़ों से संबंधित समस्याएं अधिक दिख रही है। किसी को सांस फूलने की दिक्कत तो किसी को खांसी में खून आ रहा है। टीवी अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजय वर्मा ने बताया कि प्रदूषण और ठंड की वजह से गले में संक्रमण और सीने में दर्द होने की शिकायत लोगों में अधिक आने लगी है, जब- जब ठंड बढ़ती है, तब-तब फेफड़ों के मरीजों को संक्रमण का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि जब प्रदूषण बढ़ता है तो मरीज के फेफड़ों में सूजन आ जाती है और सूजन आने के बाद फिर खांसी में खून भी आने लगता है। इसी तरह अगर खासी लंबे समय तक चलती है तो भी खून आने लगता है। इसके अलावा गले में भी संक्रमण हो रहा है। मरीजों में खरास बढ़ गई है। डॉ. संजय वर्मा के मुताबिक इमरजेंसी में इन दोनों 24 घंटे के अंदर 12 से 16 मरीज रोज आ रहे हैं। इनमें से 8 से 10 मरीजों को भर्ती करना पड़ रहा है, क्योंकि जो लोग गर्म कपड़े नहीं पहनते हैं या फिर सीधे हवा के संपर्क में रहते हैं। ऐसे लोगों में ज्यादा समस्या देखने को मिल रही है। हैलट अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक आरके सिंह ने बताया कि कोरोना काल के समय में कई वार्ड आरक्षित किए गए थे। वह वार्ड अभी भी चालू हालत में है। उनका निरीक्षण किया गया है। सभी वार्ड और सभी बेड चालू हालत में है। यदि मरीज बढ़ते हैं तो उन्हें वहां पर शिफ्ट किया जा सकता है। इसके लिए हम लोग तैयार हैं। अगर वार्ड खोलते हैं तो जेआर भी बढ़ाए जाएंगे। चेस्ट हॉस्पिटल में इन दिनों रोजाना 8 से 10 मरीज के भर्ती होने का आंकड़ा है। ऐसे में यदि आईसीयू के बेड कम पड़ते हैं तो उन्हें हैलट अस्पताल के आईसीयू में भी शिफ्ट किया जा सकता है, क्योंकि चेस्ट हॉस्पिटल में मात्र 25 बेड का ही आईसीयू है। ऐसी स्थिति में हैलट अस्पताल इन चुनौतियों से लड़ने के लिए फिलहाल तैयार है। बीते दो दिन पूर्व बांदा निवासी 60 वर्षीय राम प्रकाश यादव को मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। उन्हें आईसीयू की जरूरत थी। बेटे रवि यादव के मुताबिक डॉक्टरों ने हैलट अस्पताल के लिए रेफर किया, जहां पर उन्हें आईसीयू उपलब्ध कराया गया। फिलहाल राम प्रकाश की हालत स्थिर है।