कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के खेल वाले सारे सिस्टम जुडे और काम करने वाले सारे एजेंटों को संघ के सर्वे-सर्वा की ओर से कुछ ना कुछ विशेष तोहफा अवश्य दिया जाता है। जिससे संघ में जुडे यूपीसीए के अधिकांश चयनकर्ताओं के साथ ही एजेंट पूरी तरह से मुस्तैद रहते हैं।संघ के सर्वे-सर्वा जो पूर्व सचिव के खासम-खास माने जाते हैं उनकी हरी झण्डी मिलते ही एजेन्ट पूरी तरह से अपने कार्य को अंजाम देने में जुट जाते हैं। वह किसी को अपने घर तो किसी को फाइव स्टार होटल के कमरों में बुलवाकर उनको जिम्मेदारी सौंपते है1 यही नही वह एक आफिशियल निर्देश भी जारी करते हैं कि उनके कार्यकर्ताओं को सीधे तौर पर इन्टरटेन किया जाए। वह एजेन्टों के लिए नौकरी की भी व्यवस्था दिल्ली दरबार से सीधे तौर पर करने के लिए पूरे प्रयास भी करते हैं। बीते कई सालों से यूपीसीए के एजेन्टों में से किसी को नोएडा में नौकरी के साथ ही अकादमी तो किसी को गेंद बनाने की फैक्ट्री । वैसे सबसे अधिक तो सदस्यों के लिए अकादमी खोलने के लिए बजट निर्धारित किया जा रहा है। ऐसा मेरठ, झांसी, लखनऊ और उन्नाव के साथ ही हमीरपुर और फतेहपुर के एजेन्टों के लिए प्राय: देखा जा सकता है। बतातें चलें कि उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का गठन प्रदेश में क्रिकेट के विकास के लिए किया गया था। जबकि आज की तारीख में सभी पदाधिकारी अपना विकास करने में पूरी तरह से व्यस्त है। उन्होंने प्रदेश के हर जिले और हर मंडल में अपने एजेंट रूपी कार्यकर्ता और जिला संघ के सदस्यों को अपने उसे खेल में शामिल कर रखा है जिससे वह उनका विरोध ना कर सके। यही नहीं पूर्व सचिव के निजी सचिव जो भाई के नाम से प्रदेश प्रसिद्ध भी है वह सभी की नियुक्ति खेल वाले सिस्टम में कर देते हैं ।उसके एवज में किसी एजेंट को क्रिकेट अकादमी खुला दी और किसी को अच्छे स्थान पर नौकरी किसी किसी को तो यह दोनों सुविधा एक साथ मुहैया करवा दी। भाई के सारे एजेंट उनके लिए उन क्रिकेटरों की तलाश करते हैं जो पैसा देने में पूरी तरह से सक्षम हों। देखा जाए तो इस समय क्रिकेट संघ से जुड़े लोगों के पास खुद की क्रिकेट अकादमी और अच्छे संस्थानों में नौकरी इस बात को दर्शाता है की सब कुछ इसी दिशा में चल रहा है। भाई का प्रभुत्वअ संघ के भीतर इस कदर गहरा है कि बिना पद के भी उनकी नाक आखं कान बने पूर्व क्रिकेटर धडल्ले से मैदान में चयनकर्ताओं के पास जाकर बैठ जाते हैं। यूपीसीए के एक सदस्य के मुताबिक भाई के एजेन्टों की लिस्ट में सलमान खान, पूर्व मीडिया मैनेजर तालिब खान, , अनुराग मिश्रा, जसमेर धनकड, प्रवीण गुप्तार, मूसी रजा,उबैद कमाल, अरविन्द कपूर, सतीश जायसवाल,कपिल पाण्डेय, आदि नाम प्रमुखता से हैं जबकि इनके अलावा कई नाम अभी भी पर्दे के पीछे ही हैं। “खेल” वाले “सिस्टम” में एजेंटों की सक्रियता पर कई बार सवाल भी उठाए गए लेकिन संघ ने कोई भी कदम नही बढाया। अब इस बार नए मामलों को लेकर कई क्रिकेट समर्थकों ने बीसीसीआई समेत खेल मन्त्रालय और संघ के आलाकमान से प्रभुत्व वाले भाई के खिलाफ कार्यवाई की मांग की है। इस मामले में बात करने के लिए संघ का कोई भी पदाधिकारी फोन तक नही उठा रहा है।