संवाददाता।
कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह में आज गुरुवार को 55 छात्र छात्राओं को 98 पदक दिए गए। दीक्षांत समारोह का आयोजन 28 सितंबर को किया जाएगा। इस साल दो कुलाधिपति स्वर्ण पदक भी दिए गए। त्रियुगी नारायण महाविद्यालय कानपुर देहात की छात्रा श्वेता साहू और डीबीएस कॉलेज के छात्र जीत शर्मा को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने भाषण में कहा कि आज जो बच्चे इस समारोह में पदक पाए हैं। वह भारत का भविष्य है। चंद्रयान-3 की लैंडिंग जिन्होंने कराई है वह लोग भी छोटे-छोटे विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले हैं। इसलिए कोई अपने को कमजोर ना समझे। पढ़ाई करने मात्र से ही संतोष नहीं मिल पाता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक बार रतन टाटा से लोगों ने पूछा कि आपको संतोष कब मिलता है तो उन्होंने कहा कि पहले मैंने सोचा कि पैसा कमा लूं लेकिन मुझे तब संतोष नहीं मिला। फिर मुझे दक्षिण अफ्रीका के एक ऑयल का प्रोजेक्ट मिला। इस पर पूरे भारतवर्ष को गर्व हुआ, लेकिन तब भी मुझे संतोष नहीं हुआ। एक दिन एक एनजीओ के लोग मेरे पास आया और कहा कि हमारे बच्चों को 500 व्हीलचेयर दे दे। मैंने उन्हें व्हीलचेयर उपलब्ध करा दी, जब मैं उस कार्यक्रम में पहुंचा तो वहां सभी बच्चे व्हीलचेयर में बैठे थे और उनकी मुस्कुराहट को देखकर तब मेरे दिल को संतोष हुआ कि जो भी कुछ मैंने किया वह आज मेरा सफल हो गया। इसी तरह इस विश्वविद्यालय के बच्चों को भी संकल्प लेना चाहिए कि जब तक आप किसी को उंगली पड़कर आगे नहीं ले जाएंगे तब तक आपके दिल को संतोष नहीं होगा। उन्होंने कहा कि आप किसी भी मंच पर पहुंच जाएं लेकिन यह याद रखें कि अपने माता-पिता का सम्मान कभी ना भूले। हमारी शिक्षा की शुरुआत ही वहीं से होती है। उन्होंने कहा कि अगर किसी विश्वविद्यालय को एनआरएफ़ और वर्ल्ड रैंकिंग में आना है तो वह प्रदेश की अलग-अलग विश्वविद्यालय के साथ एमओयू करें। रैंकिंग में आने के लिए एमओयू बहुत महत्वपूर्ण है। प्रदेश के बाहर की विश्वविद्यालय से भी एमओयू करें। इसका बहुत असर पड़ता है, जो रैंक देने वाले हैं उनसे भी हमेशा संपर्क में रहे। आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सबसे ज्यादा युवा अपने भारतवर्ष में है। 35 से कम उम्र वाले 65% लोग हैं। पूरे विश्व की निगाह आज हमारे भारत के युवाओं पर है। आपका काम ही आपका अवार्ड है। उच्च शिक्षा विभाग की राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि आज हमारा देश बहुत आगे बढ़ रहा है। इसमें युवाओं की भूमिका बहुत अहम है। हर व्यक्ति का जीवन अच्छा हो और उनके जीवन में कुछ ना कुछ बदलाव हो इस ओर केंद्र व प्रदेश की सरकार काम कर रही है। ऐसी-ऐसी योजना आ रही है जो सबका विकास कर रही है। चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना हो, सुमंगला योजना हो, आयुष्मान योजना हो या कोई भी अन्य योजना हो। आंगनबाड़ी से लेकर विश्वविद्यालय तक की शिक्षा में सुधार हुआ है। उच्च शिक्षा विज्ञान व प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी के मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि शिक्षा हर कोई प्राप्त कर सकता है। मगर किस लिए प्राप्त कर रहे हैं यह जानकारी होना बहुत जरूरी है। कोरोना काल में शिक्षा को लेकर जो सरकार ने बदलाव किया आज वह शिक्षा नीति में आ गया है। शिक्षा को रोजगार, संस्कृति और तकनीकी से जोड़ा जाना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य डिग्री प्राप्त करना नहीं है। हमको यह समझना है कि समाज के प्रति हमारा क्या दायित्व है। एक किताब तक सीमित ना रहे। हमको किताब से बाहर भी निकाल कर सामाजिक चीजों को पढ़ना जरूरी है, जब तक हम समाज से नहीं जुड़ेंगे तब तक हमारी शिक्षा बेकार है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हनी बी नेटवर्क के संस्थापक व पदमश्री अनिल कुमार गुप्ता ने कहा कि यहां बैठे हर युवाओं के अंदर वह दक्षता है जो देश की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। आप यह न सोचे कि ज्ञान वह है जो विश्वविद्यालय के अंदर प्राप्त करते हैं। बाहर की दुनिया में भी बहुत बड़ा ज्ञान है। अगर विश्व को आगे बढ़ाना है तो हम अपने ज्ञान को ज्यादा से ज्यादा लोगों में बांट सके। विश्वविद्यालय को चाहिए कि वह अपनी हर एक एक्टिविटी को अपलोड करते रहे। अनजान लोगों से हम जितना मिलेंगे हमको उतना ही अनुभव प्राप्त होगा। हम अपने मन में वस्तुओं की जगह कम करके विचारों की जगह बनाए तो बेहतर होगा। यह काम वही कर सकता है जिसमें जिद होगी, क्योंकि जिसमें जिद होगी वही जुनून पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमें पारंपरिक चीजों को विज्ञान से मिलना चाहिए इसमें हिचकिचाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल राज्य मंत्री से कहा कि पदक पाने वाले बच्चों के साथ एक बार बैठक जरूर करें ताकि उनके सुझाव मिल सके, तब हमको पता चलेगा कि हमें क्या बदलाव करने की जरूरत है। आज इस मंच में हर क्षेत्र के उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मान दिया गया है। यह बहुत ही अच्छी बात है। दो कुलाधिपति स्वर्ण पदक के अलावा दो सिल्वर मेडल, 29 ब्रांज मेडल, 12 कुलपति स्वर्ण पदक और 53 प्रायोजित पदक दिए गए। साथ ही कुल 2,09,171 छात्र छात्राओं को उपाधि दी गई। दीक्षांत की अध्यक्षता कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने की। चंद्रयान-3 में सहयोग देने वाले विश्वविद्यालय के यूआईईटी विभाग के चार पूर्व छात्रों को भी सम्मानित किया गया।