November 21, 2024

संवाददाता।
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के डिपार्मेंट ऑफ लाइफ साइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अजय कुमार पांडेय ने प्लांट वेस्टेज से इथेनॉल तैयार किया है। आने वाले समय में देश को इसकी बड़ी मात्रा में जरूरत पड़ेगी। डॉ. अजय कुमार पांडेय ने बताया कि अपना भारत कृषि प्रधान देश है। यहां पर हर साल कई सौ मिलियन मेट्रिक टन प्लांट वेस्टेज जनरेट होता है। यह वेस्टेज वातावरण को दूषित करता है। ऐसे में इस वेस्टेज का इस्तेमाल कर हम लोगों ने एक इथेनॉल तैयार करने में सफलता प्राप्त की है। यह पूरी तरह से तैयार हो चुका है। आने वाले समय मे पेट्रोल गाड़ियों में एथेनॉल का ही प्रयोग किया जाएगा। अब एथेनॉल को दूसरे देशों से खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी। डॉ. अजय कुमार पांडेय ने बताया कि इस एथेनॉल को तैयार करने के लिए हम लोगों ने सबसे पहले धान की डंठल, गेहूं का भूसा, गन्ने की डंठल, देवदार पेड़ के डंठल को लैब में लेकर आए। यहां पर इनको छोटे-छोटे टुकड़ों में कर लेते है।इसके बाद इसका प्री ट्रीटमेंट करते है। फिर जो एंजाइम लैब में तैयार किया है। उसको इसमें मिलाते हैं। इसके बाद सेलयोज और हेमी सेलयोज दोनों अलग-अलग हो जाते हैं, जिससे हमें ग्लूकोस प्राप्त होता है। फिर उस ग्लूकोज के माध्यम से हम एथेनॉल को बनाने का काम करते हैं। डॉ. पांडेय ने बताया कि लैब में जो एंजाइम तैयार किया गया है। यह पेड़ों में लगी फफूंदी से तैयार किया है। इथेनॉल बनाने में इस एंजाइम का सबसे बड़ा योगदान है, जहां पर बड़ी संख्या में वेस्टेज एकत्र होती है तो उसमें फफूंदी या यह कह ले की फंगस लग जाता है। उस फंगस को निकाल कर लैब में लाते हैं। उससे एंजाइम तैयार करते हैं। इस पूरी प्रक्रिया में पूरे 72 घंटे लगते हैं। पहले जो वेस्टेज होती है उसको बारीक छोटे-छोटे टुकड़ों में करते हैं, जिसमें लगभग एक से डेढ़ घंटे लगते हैं। इसके बाद हाइड्रोलाइसिस प्रक्रिया में लगभग 48 घंटे लगते हैं। फिर फर्मेंटेशन प्रक्रिया में 24 घंटे का समय लगता है, तब जाकर एथेनॉल तैयार हो पता है। अभी भारत देश को पेट्रोल तैयार करने के लिए अन्य देशों से क्रूड ऑयल की खरीद करनी पड़ती है। वहां जब रेट बढ़ते हैं तो पेट्रोल के दाम में भी बढ़ोतरी होती है। इस बढ़ोतरी को कम करने के लिए ही हम लोगों ने इथेनॉल तैयार किया है। डॉ. अजय कुमार पांडेय ने बताया कि इस शोध को करने में लगभग 2 साल से ज्यादा का समय लगा है। किन-किन चीजों से इथेनॉल को डेवलप कर सकते हैं। इसको लेकर कई चीजों पर शोध किया गया। इसके बाद कुछ चीज ऐसी निकाल कर आई, जिसके माध्यम से हम लोगों को पता चला कि इस वेस्टेज को किसान खेतों में जला देते हैं। इससे हवा में प्रदूषण भी फैलता है। यदि इसका प्रयोग हम लोग करेंगे तो पर्यावरण को काफी फायदा मिलेगा। 

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