December 21, 2024

कानपुर। ग्रीनपार्क में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय व घरेलू श्रृंखला के दौरान कई टेस्ट मैचों में बारिश ने खलल डालकर पूरी तरह से व्यवधान किया है। यूपीसीए ने बारिश के बाद तत्काल मैच शुरु होने के लिए कई प्रकार के जतन किए लेकिन उसके किए गए हर प्रयास को असफलता मिली है। यूपीसीए ने मैदान को बारिश के बाद जल्द ही सुखाने के लिए पूरे मैदान का कवर, कई फिट गहरी ड्रेनेज सिस्टम वाली नाली , सुपर सॉपर के साथ ही अन्य उपकरणों से लैस यूपीसीए के मैदानकर्मी उस योजना को अमली जामा पहनाने से वंचित रह गए जब मैच रेफरी व अम्पायरों ने पूरे दिन एक भी गेंद न फेंकने का निर्णय सुनाया। कमोवेश ऐसी स्थिति बनने की संभावना इस टेस्ट  मैच में भी है क्योंकि बारिश का मौसम अभी गया नही है। ग्रीनपार्क मैदान में लगे ड्रेनेज सिस्टम को भी सुधार की आवश्यकता आन पड़ी है। लगभग 38 लाख की लागत से निर्मित स्टेडियम के क्रिकेट मैदान का ड्रेनेज पूरी तरह से डैमेज हो चुका है। ग्रीनपार्क मैदान में ड्रेनेज सिस्टम साल 2018 में यूपीसीए की ओर से लगवाया गया था। इसके बाद यहां पर टेस्ट मैच और लीजेन्ड वर्ल्ड कप सीरीज के अलावा यूपीपीएल और रणजी ट्राफी के मैच बारिश के चलते पूरी तरह से बाधित रहे थे।हाल ही में ग्रीनपार्क मैदान का निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी राकेश सिंह ने भी ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने की हिदायत दी थी जिस पर अभी तक अमल शुरु नही किया जा सका है। उन्होंने भी शायद पहले के मैचों को ध्या‍न में रखते हुए यूपीसीए के साथ ही निर्माण संस्थाओं को निर्देश जारी किए हैं।उल्लेखनीय है कि ग्रीनपार्क स्टेडियम में बारिश के दौरान पानी भर जाता था और मैचों के दौरान यदि मैदान पर पानी रह जाता था तो उसे निकालने में एक से दो दिन का समय लग जाता था। हालांकि ग्रीनपार्क में ड्रेनेज सिस्टम लगने के बाद पानी की निकासी में समय कम लगता है लेकिन फिर भी इतना समय नहीं निकल पाता कि मैच को उसी दिन शुरू करवाया जा सके। इसे देखते हुए ग्रीनपार्क में ड्रेनेज सिस्टम के साथ ही मैदान के रेनोवेशन का काम भी किया गया था जिसमें पिच से बाउन्ड्री की ओर लगभग एक से डेढ़ फीट तक ढलान कर पानी की निकासी के रास्ते बनाए गए थे लेकिन ये नालियां इतनी गहरी नहीं बनवायी गयी जिससे पानी तेजी के साथ आसानी से निकल सके।मैदान को एक तरफ से खोदकर सैंड बेस्ड का काम किया गया था, बीते कई सालों पूर्व भी सैंड बेस्ड तकनीक की कमी के चलते सितंबर में ही इंडिया ग्रीन व इंडिया ब्लू का दिलीप ट्राफी का मैच धुल गया था। मैदान में डायरेक्टर पवेलियन से लेकर सी बालकनी तक जमकर जल भराव हो गया था जो अभी भी इसी समस्या से जूझ रहा है। इसमें बारिश के कारण मैदान कम सैंड के चलते सूख नहीं सका और मैच ड्रा रहा था। पूरे मैदान को सैंड बेस्ड करने के साथ-साथ घास और पुराने पवेलियन की अभ्यास विकेटों को भी दुरुस्त करने का काम भी एक के बाद एक मैदान को ढलान युक्त बनवाया गया था लेकिन निवर्तमान विकेट निर्माणकर्ता और कुछ पदाधिकारियों की कमीशन वाली मिलीभगत से मैदान का ड्रेनेज सिस्टम अभी तक उसको दुरुस्त करवाने की कहानी बयां कर रहा है। बताते चलें कि अभी तक ग्रीनपार्क में जितने भी मैच बारिश के कारण हुए हैं, वह सभी अगस्त और सितम्बर महीने में ही खेले गए हैं और मैदान से पानी न निकल पाना उसकी मुख्य वजह रही है। यही नहीं, बांग्लादेश के खिलाफ होने वाला टेस्ट मैच भी सितम्बर के आखिरी सप्ताह में ही खेला जाएगा। यदि उस दौरान भी तीन से चार घन्टे अगर बारिश हुई तो इस ड्रेनेज सिस्टम के चलते मैदान तो समय से सूखने से रहा। अभी तक यूपीसीए के किसी भी अधिकारी ने इस बात की सुध नहीं ली है। इस बारे में यूपीसीए के एक पदाधिकारी ने बताया कि अगले सप्ताह संघ के अध्यक्ष निधिपति सिंहानिया के ग्रीनपार्क आने की सम्भावना है। उनको इस स्थिति से अवगत करवा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त करवाने की पहल भी उन्ही के माध्यम से करवाने का प्रयास किया जाएगा।