November 22, 2024

कानपुर। आगामी पांच दिनों में मध्यम से घने बादल छाए रहने के कारण 3 से 7 जुलाई के मध्य स्थानीय स्तर पर गरज—चमक, धूल भरी आंधी और तेज हवाओं के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। यह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त पूर्वानुमान है। यह जानकारी मंगलवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने दी है।

   उन्होंने बताया कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक अधिकतम तापमान 30.1—34.0 डिग्री सेल्सियस के बीच है जो सामान्य से 2 से 3 डिग्री सेल्सियस कम होने की संभावना है और न्यूनतम तापमान 23.7 से 25.7 डिग्री सेल्सियस के बीच है, जो सामान्य से 1 से 2 डिग्री सेल्सियस कम होने की संभावना है। सापेक्षिक आर्द्रता की अधिकतम और न्यूनतम सीमा 66—84 और 41—66 फीसदी के बीच है। हवा की दिशा दक्षिण—पूर्व, दक्षिण—पश्चिम है और हवा की गति 11.0 से 16.0 किलोमीटर प्रति घंटे के बीच है, जो सामान्य से 6.7 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से हवा चलने की संभावना है।

  डॉ.पांडेय ने किसानों को आगाह करते हुए सुझाव दिया है कि वे वर्षा की संभावना को देखते हुए अत्याधिक वर्षा जल निकास का उचित प्रबंध करें। साथ ही खरीफ में बोई जाने वाले मक्का, ज्वार, बाजरा, तिल आदि फसलों की सिंचाई एवं बुवाई का कार्य स्थगित रखे। धान के पौध की रोपाई के लिए खेतों के मेड़ो को मजबूत करें। जिससे बरसात का पानी खेतों में रुका रहे। उमस भरी गर्मी एवं गर्म हवाओं से बचाव हेतु अनावश्यक घर से बाहर न निकले। घर से बाहर निकलने पर पानी की बोतल साथ ले कर ही निकले और पानी बार-बार पियें। पशुओं को सुबह-शाम नहलायें, छायादार स्थान पर रखें, 3-4 बार पानी पिलायें। कीटनाशकों, कों रोगनाशी और खरपतवारनाशी रसायनों के लिए, केवल साफ पानी से उपकरणों को धोने के लिए उपयोग करें और हवा की विपरीत दिशा में खड़े होकर कीटनाशकों, कों रोगनाशी और खरपतवारनाशकों स्प्रे न करें। छिड़काव शाम को किया जाना चाहिए, यदि संभव हो तो, छिड़काव करने के बाद, खाने से पहले और कपड़े धोने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह से धोना चाहिए।

डॉ.पांडेय ने बताया कि धान की नर्सरी से अत्यधिक वर्षा जल निकास का उचित प्रबंध करें । धान के पौध की रोपाई के लिए खेत तैयार करें और धान की 22 -25 दिन के पौध की रोपाई करें। अत्यधिक वर्षा की स्थिति में रोपाई का कार्य स्थगित रखे। धान के पौध की रोपाई के लिए खेतों के मेड़ो को मजबूत करें। जिससे बरसात का पानी खेतों में रुका रहे।

   धान की उन्नतशील किस्मों नरेंद्र-359 , नरेंद्र धान-2026 , नरेंद्र धान-2064 , नरेंद्र धान-2065 ,नरेंद्र धान-3112, सरजू-52, सीता आदि तथा संकर किस्मे- प्रो.एग्रो -6444 (2001)एराइज , प्रो.एग्रो -6201 (2001) एराइज, पी.एच.बी.-71, पायनियर -27 पी 31,27 पी 37, 28 पी 67 , आर आर एक्स -113, कावेरी-468, के.आर.एच -2 , यू.एस.-312 , आर.एच. -312, आर.एच. -1531आदि एवं सुगंधित धान की किस्म टाइप-3, पूसा बासमती-1, मालवीय सुगंध-105, मालवीय सुगंध-3-4 , नरेंद्र सुगंध एवं नरेंद्र ऊसर धान-1,नरेंद्र ऊसर धान-2, नरेंद्र ऊसर धान-2008 , सी.एल.आर.-10 आदि में से किसी एक किस्म के बीज एवं खाद की व्यवस्था कर नर्सरी का कार्य शीघ्र पूरा करें।

  मक्का अत्यधिक वर्षा जल निकास का उचित प्रबंध करें। वर्षा की संभावना को देखते हुए किसान भाई खरीफ मक्का में सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई का कार्य स्थगित रखे। इसी तरह  किसान भाई ज्वार की बुवाई का कार्य स्थगित रखे। ज्वार की  संकुल प्रजातियाँ – वर्षा, सी.एस.वी.-13, सी.एस.वी.-15, एस.पी.वी.-1388 (बुन्देला), विजेता तथा संकर प्रजातियां-सी.एस.एच.-16, सी.एस.एच.-9 सी.एस.एच.-14 सी.एस.एच.-18 सी.एस.एच.-13 एवं सी.एस.एच.-23 आदि के बीज एवं खाद की व्यवस्था करें|

 उन्होंने बताया कि मूंगफली की संस्तुति संकर किस्म- चित्रा, कौशल ,प्रकाश, अम्बर, उत्कर्ष, दिव्या ,कौशल-गुच्छेदार किस्म- चंद्रा, टा -28, 64 एम -13 आदि की बुवाई करें और मूंगफली की बुवाई के लिए 70-80 किग्रा / हेक्टेयर की दर से बुवाई आसमान साफ होने पर करें। इसी क्रम में तिल की बुवाई का कार्य किसान स्थगित रखे। तिल के फसल की संस्तुति किस्मों- स्मों टाइप-4, 12, 13, टाइप -78 ,शेखर, प्रगति, तरुण, आर टी -351और आर टी -346 आदि में से किसी एक किस्म की बुवाई आसम बुवाई आसमान साफ होने पर करें।

बागवानी बागवानी के लिए किसानों को विशेष सलाह

गोभी की खेती में अत्याधिक वर्षा जल निकास का उचित प्रबंध करें। बैंगन, मिर्च , अगेती फूलगोभी के पौधे एवं भिंडी, लोबिया, कद्दू , लौकी, तरोई, करेला, खीरा आदि की बुवाई का कार्य स्थगित रखे। कद्दू , लौकी, तरोई,करैला, खीरा, ककड़ी,तरबूज, खरबूजा आदि तैयार फसलों की तुड़ाई कर बाजार भेजे। सब्जियों की फसलों में फल छेदक /पत्ती छेदक कीट की रोकथाम हेतु नीम आयल 1.5-2.0 मिली०/लीटर पानी में घोल बनाकर 3 -4 छिड़काव 8 -10 दिन के अन्तराल पर करें।

सब्जिओं की खड़ी फसलों में निराई –

गुड़ाई करें तथा सिंचाई का कार्य 8-10 दिन के अन्तराल पर शाम के समय करें। आम नये बागो की रोपाई के लिए गडढ़ो की खुदाई कर खुला छोड़ दें। आम, अमरूद, नींबू नीं बूबेर, अंगूर, पपीता व लीची आदि के बागों में सिंचाई का कार्य करें।

बारिश में पशुओं का रखे विशेष ध्यान

  वर्तमान मौसम को देखते हुए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पशुओं को रात के दौरान खुले में बांधें। पशुओं को दिन के समय छायेदार स्थान पर बांधे या पेड़ के नीचे पशुओं को न बांधे क्योकि इस सप्ताह हवाओं की गति सामान्य से तेज चलने के कारण पेड़ / पेड़ो की टहनियों के गिरने की सम्भावना अधिक रहती हैं।

 पशुओ को खुरपका-मुँहपका रोग की रोकथाम हेतु एफ.एम.डी. वैक्सीन तथा लगड़िया

बुखार से बचाव हेतु वी.क्यू. वैक्सीन से टीकाकरण कराये। पशुओं को हरे और सूखे चारे के साथ पर्याप्त मात्रा में अनाज दें। पशुओ को साफ एवं ताजा पानी दिन में ३-४ बार अवश्य पिलायें। गर्भित पशुओ को ढलान वाले स्थान पर न बांधे । पशुओ को पेट में कीड़ो की रोकथाम के लिए कृमिनाशक दवा देने का उचित समय है।

डॉ. पांडेय ने बताया कि मुर्गी पालन से जुड़े किसानों को सलाह दी जाती है कि वे मुर्गियों को भोजन में पूरक आहार, विटामिन और ऊर्जा खाद्य सामग्री मिलाएं और साथ ही साथ कैल्शियम सामग्री भी मुर्गियों को दें। मुर्गियों के पेट में कीड़ो की रोकथाम (डिवमिर्ग) के लिए दवा दें। मुर्गियों को गर्मी से बचाव हेतु मुर्गी हाउस में पर्दे, पंखे और वेंटिवेंलेशन की व्यवस्था करें। मुर्गियों को गर्मी से बचाने के लिए मुर्गी घर में लगे हुए जूट के पर्दो पर पानी के छींटे छमारे जिससे ठंडक बनी रहे।

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