कानपुर। इसे सरकार की संवेदनहीनता कहें या फिर चिकित्सां विभाग की लापरवाही आतंकी हमले में घायल व्यक्ति को ही कानपुर से लखनऊ के बीच अस्पतालों में अपने इलाज के लिए चक्कर काटने के लिए विवश होना पड रहा है। सरकारी विभाग के डाक्टंर उनकी जांच के बाद इलाज करने में कोताही बरत रहें हैं इलाज इतना मंहगा है कि वह निजी अस्पताल में चिकित्सीय सुविधा प्राप्त नही कर पा रहे हैं। बतातें चलें कि जम्मू में यात्रियों की बस पर हुए आतंकी हमले में कानपुर के दिनेश गुप्ता घायल हो गए थे सोमवार को दिनेश गुप्ता हैलट में अपना उपचार कराने पहुंचे थे। लेकिन यहां आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर की मौजूदगी न होने के कारण उन्हें केजीएमयू के लिए रेफर कर दिया गया था। परिजन वहां से भी निराश लौट आए। उनका आरोप है कि वहां तो डॉक्टरों ने भर्ती करने से ही मना कर दिया। दिनेश के परिजनों का आरोप है कि केजीएमयू के डॉक्टरों ने पहले तो घंटों एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर के पास दौड़ते रहे। इसके बाद उपचार तक नहीं शुरू किया। अंत में थक हारकर परिजन दिनेश को लेकर वहां से चल दिए। परिजनों ने बताया कि 9 जून को जम्मू में हुए आतंकी हमले में दिनेश गुप्ता घायल हो गए थे। सोमवार सुबह उन्हें हैलट के इमरजेंसी वार्ड में लाए थे, जहां डॉक्टर ने बताया कि आंख का पर्दा अपनी जगह से हट गया है। इसमें भर्ती नहीं करेंगे। बाहर की दवा लिखते हुए कहा कि 20 दिन बाद फिर से दिखाने आना। दिनेश की मां निर्मला देवी का कहना है कि इतना पैसा नहीं है कि किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कर सकें, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोगों की मदद से कानपुर से एंबुलेंस करके लखनऊ गए। फिर वहां से डॉक्टर का रुख अच्छा नहीं दिखा जिससे नाराज होकर वहां से वापस आ गए। अब परिजन दिनेश को घर पर ही रखकर दवाइयों के बलपर उनका इलाज करने पर मजबूर हैं।
