संवाददाता।
कानपुर। नगर मे डायबीटिक फुट अल्सर के तमाम मरीज ऐसे थे जो की महंगी एंटीबायोटिक लेने में असमर्थ होते थे और फिर वह अल्सर उनके लिए काल बन जाता था। ऐसे में कानपुर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने एक ऐसा शोध किया, जिससे उन आर्थिक रूप से कमजोर मरीज को बिना एंटीबायोटिक के ही उनके अल्सर को ठीक करना संभव हो सका है। वर्तमान समय में मेडिकल कॉलेज में पांच ऐसे मरीज हैं, जिनका डॉक्टरो ने बिना एंटीबायोटिक के ही घाव को भर दिया है। एक मरीज की छुट्टी भी हो गई है। कानपुर मेडिकल कॉलेज के पीएमएसएसवाई के एंडोक्रोनोलॉजी विभाग के प्रभारी डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि फुट अल्सर के जो भी मरीज आते थे उनकी कल्चर की जांच कराने के लिए उसमें कई प्रकार की एंटीबायोटिक का प्रयोग किया जाता था, लेकिन कुछ लोगों में यह एंटीबायोटिक असर नहीं करती थी। ऐसे मरीजों को महंगी एंटीबायोटिक दी जाती थी, लेकिन हर कोई यह महंगी एंटीबायोटिक लेने में असमर्थ होता था। ऐसे में बहुत से मरीज गंभीर अवस्था में भी चले जाते थे। इसको देखते हुए हमने कानपुर मेडिकल कॉलेज में शोध किया और बिना एंटीबायोटिक के मरीजों को ठीक करने का काम किया, जिसका परिणाम बहुत ही अच्छा आया है। पिछले 5 से 6 महीनो के अंदर 6 मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया और सभी मरीज अब स्वस्थ है। इनका उपचार एंटीबायोटिक ना देकर रोजाना ड्रेसिंग, ऑफ लोडिंग के माध्यम से किया गया। डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने बताया कि जो महंगी एंटीबायोटिक होती थी। उस दवा से उपचार करने में एक दिन का खर्चा लगभग 10000 रुपए मरीज का आता था, क्योंकि हर दवा अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो पाती है, लेकिन यहां पर मरीजों का उपचार बिल्कुल निशुल्क किया जा रहा है। एंटीबायोटिक देने से मरीज को 5 से 7 हफ्ते ठीक होने में लगते थे, लेकिन इस ट्रीटमेंट से 8 से 10 हफ्ते का समय लग रहा है, लेकिन मरीज बिल्कुल स्वस्थ हो जाता है। डॉ. वर्मा ने बताया की डायबिटिक मरीज के पैरों में जूते चप्पल पहनने से उनके घाव हो जाते थे। इस चीज को देखते हुए एक विशेष डायबीटिक फुट तैयार किया गया है। यह फुट अयोध्या के लेप्रोसी सेंटर से मंगाया गया है। इसकी कीमत मात्र 500 रुपए है, लेकिन यही फुट बाहर 3000 से 4000 के बीच मिलते हैं। यहां पर कम दामों पर है। इसकी खासियत यह है कि इससे पैरों में किसी भी प्रकार के घाव नहीं होंगे और पैरों में प्रेशर भी नहीं पड़ेगा।