संवाददाता।
कानपुर। नगर मे पुलिस की प्रताड़ना से तंग होकर सब्जी विक्रेता सुसाइड कांड में पुलिस की विभागीय सहानभूति के चलते आरोपी दरोगा और कॉन्स्टेबल को हाईकोर्ट से अरेस्टिंग स्टे मिल गया है। इतना ही नहीं जांच के दौरान आरोपी पुलिस कर्मियों पर धारा-386 हटाकर उसे 384 में तरमीम कर दिया गया है। जबकि इस केस में डीजीपी के आदेश के बाद आईपीसी की धारा-386 बढ़ाई गई थी। हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह के भीतर सचेंडी पुलिस को काउंटर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए है। सचेंडी कस्बा निवासी बालकृष्ण राजपूत के पांच लड़कों में सबसे छोटा सुनील (26 वर्ष) चकरपुर मंडी कछियाने में सब्जी की दुकान लगाता था। बीते 13 मई को सुनील ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले सुनील ने एक वीडियो बना कर अपने वॉट्सऐप स्टेट्स में लगाया था, जिसे उसकी हंसपुरम नौबस्ता निवासी उसके रिश्तेदारों ने देख कर परिजनों को सूचना दी थी। वीडियो में सुनील ने चकरपुरमंडी चौकी इंचार्ज सतेंद्र कुमार यादव और कॉन्स्टेबल अजय यादव पर प्रताड़ना का आरोप लगाया था। आरोप था कि चौकी इंचार्ज और सिपाही दुकान लगाने के एवज में जबरन सब्जी और पैसों की वसूली करते थे, मना करने पर मारपीट करते थे। सुसाइड कांड के बाद आरोपी चौकी इंचार्ज और कॉन्स्टेबल के खिलाफ रंगदारी (आईपीसी की धारा-386) व आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने की धारा-306 समेत अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके बाद से दोनों आरोपी पुलिसकर्मी फरार चल रहे थे। जिला जज की कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। न्यायाधीश सिद्धार्थ वर्मा व विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने शुक्रवार को मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी दरोगा और कॉन्स्टेबल को अरेस्टिंग स्टे दे दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने सचेंडी पुलिस से तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिया है। केस में पुलिस ने गैर जमानती धारा-386 हटाकर उसे जमानती धारा-384 में तरमीम कर दिया। इसके साथ ही आरोपी पुलिस कर्मियों ने तर्क दिया कि जल्दबाजी में एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर में लगाए गए आरोपों को गलत बताया गया। मृतक के भाई का आपराधिक इतिहास समेत अन्य ऐसे तथ्य पेश किए गए जिससे आरोपी पुलिस कर्मियों को हाईकोर्ट से अरेस्टिंग स्टे मिल गया।