संवाददाता।
कानपुर। नगर मे फाउंड्री उद्यमियों ने बीआईएस के आगामी नियमों से इंडस्ट्री पर खड़े होने वाले संकट और उसके समाधान को लेकर सेमिनार और परिचर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया। इसमें द इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन फाउंड्रीमेन एसोसिएशन के राष्ट्रीय और रीजनल पदाधिकारी और बीआईएस के अधिकारी भी शामिल हुए। कार्यक्रम के चेयरमैन और नगर संयोजक देव दुग्गल ने कहा कि बीआईएस के नए नियमों से छोटे व मंझले उद्यमियों को काफी कठिनाई होगी। जिसे बीआईएस के अधिकारियों से समाधान करने का आग्रह किया। आगे कहा कि अभी तक कानपुर के उद्यमियों को किसी प्रकार की जानकारी व प्रशिक्षण नहीं दिया गया था, जिससे वे अभी तक अलग-थलग थे। इस कार्यक्रम के माध्यम से सभी उद्यमियों को बीआईएस के नए नियमों से जोड़ा जाएगा। जिससे वह उद्यम को अच्छे से संचालित कर सकें। एफआईसी के चेयरमैन प्रदीप मित्तल ने बताया कि 2022-23 में प्रति वर्ष 14.16 मिलियन मीट्रिक टन (पिछले वर्ष 13.78% से अधिक) के साथ, भारत दुनिया में कास्टिंग का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बना हुआ है। यह उद्योग 2.0 मिलियन रोजगार (प्रत्यक्ष 0.5 मिलियन और अप्रत्यक्ष 1.5 मिलियन) के सृजन में योगदान देता है और लगभग 3.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2022-23) के निर्यात के साथ 20.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व योगदान देता है। बीआईएस लखनऊ के सीनियर डायरेक्टर सुधीर विश्नोई ने कहा कि कार्यशाला आयोजित करने का उद्देश्य कास्ट आयरन उत्पादों के लिए बीआईएस प्रमाणीकरण को अनिवार्य करने वाले डीपीआईआईटी, भारत सरकार द्वारा जारी क्यू सीओ पर कानपुर और उसके आसपास के फाउंड्री उद्योग को उनकी समस्याओं को समझ कर और उसका निस्तारण कराते हुए प्रमाणन प्रक्रिया की आवश्यकताओं और चुनौतियों से सभी उद्यमियों को अवगत कराया गया। सेमिनार में फाउंड्री और संबंधित एमएसएमई प्रतिनिधियों को सेमिनार में उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा सभी उद्यमियों के प्रश्नों का स्पष्टीकरण दिया गया। कार्यक्रम में देव दुग्गल, इवेंट चेयरमैन सुधीर बिश्नोई, एके मंडल, आईआईएफ एनआर अध्यक्ष सलिल गुप्ता, महासचिव फीटा उमंग अग्रवाल, दिनेश गुप्ता, प्रदीप मित्तल, प्रणय जैन समेत अन्य मौजूद रहे।