संवाददाता।
कानपुर। नगर में मेडिकल कॉलेज की गायनी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीना गुप्ता का दावा है कि गर्भवती महिलाओं की मौत होने के तीन मुख्य वजह होती है। सबसे पहली खून की कमी होना, दूसरा संक्रमण और तीसरा बीपी अधिक होना। इसमें से बीपी अधिक बढ़ जाने के कारण महिलाओं की मौत का दर सबसे अधिक है। ऐसे में अब कानपुर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर पहले ही एक ऐसा टेस्ट कराएंगी, जिसकी मदद से यह पता चल जाएगा की प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में बीपी बढ़ने की समस्या होगी या नहीं। अगर होगी तो डॉक्टर पहले से उसका इलाज शुरू कर उस मर्ज को कंट्रोल कर लेंगे। यह शोध भारत में पहली बार हुआ है। डॉ. नीना गुप्ता व डॉ. गरिमा गुप्ता ने बताया कि आज के समय में महिलाओं में गर्भवती होने के बाद बीपी की समस्या उत्पन्न होना आम बात होती जा रही है। ऐसे में महिलाओं की मौत भी हो जाती है, तो इस मौत की दर को कम करने के लिए कानपुर मेडिकल कॉलेज में एक शोध किया गया है। इस शोध में हम लोगों ने लगभग 300 महिलाओं को शामिल किया है। इन महिलाओं की यूरिन के माध्य से स्पेक्ट्रो स्कोपी व कांगोरेट स्प्रिड के माध्यम से जांच कर इसका पता लगा सकते हैं। जिन महिलाओं में मिसफोल्डेड प्रोटीन था। उनमें इस प्रकार दिक्कते होती है। डॉ. उरुज जहां ने बताया कि इससे बचाव का एक मात्र तरीका है समय से पहले इसका निदान। इसके लिए अभी तक समय से पूर्व पता लगाने के लिए बहुत सीमित साधन थे, लेकिन पिछले तीन वर्षों से डॉ. नीना गुप्ता के नेतृत्व में चले इस शोध के माध्यम से हम लोगों को काफी सफलता मिली है। हम लोग यूरिन की जांच कर उसमें मिसफोल्डेड प्रोटीन को देखते हैं और उसकी वेग को देखते है। उससे पता चलता है कि आने वाले समय में किस महिला में बीपी की समस्या हो सकती है। डॉ. नीना गुप्ता ने बताया कि यह जांच कानपुर मेडिकल कॉलेज में निशुल्क कराई जा रही है। इसका कोई भी चार्ज मरीज से नहीं लिया जाता था। इस शोध में कुल 300 महिलाएं ली गयी थी और 106 महिलाओं में इसका अध्ययन किया जा चुका है। अब इस विधि को पेटेंट कराने के लिए भी आवेदन कर दिया है।