
संवाददाता।
कानपुर। नगर में बीते सौ वर्षों से भी अधिक समय से कानपुर के दादामियां चौराहे पर सौहार्द की होली खेली जाती है। यहां पर हिंदू मुस्लिम सभी मिलकर पहले होली जलाते है फिर दूसरे दिन एक दूसरे से गले मिलकर रंग लगाते है। यह नजारा हमेशा लोगों के लिए बड़ा खास होता है। यहां की होली हर किसी के लिए मिशाल हैं। दादामियां इलाका मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र हैं। यहां पर हिंदू से ज्यादा मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं। इसी चौराहे पर दादामियां की मजार भी हैं। उन्होंने ही होली जलाने की शुरुआत की थी। क्षेत्रीय लोगों के मुताबिक अंग्रेजों के जमाने मे त्योहार मनाने की इजाजत नहीं हुआ करती थी। तब दादामियां ने दोनों समुदाय के लोगों को बुलाकर बैठाया और मिलकर होली जलाने का निर्णय लिया था। इसके बाद दोनों तरफ से लोग एकत्र हुए और लकड़ी व गोबर के कंडे लेकर आए। इसके बाद हिंदुओं ने पूरे हर्ष उल्लास के साथ होली जलाई। उस दिन से हर साल मुस्लिम यहां पर होलिका दहन की व्यवस्था करते आ रहे हैं। लोगो ने बताया कि ‘दादामियां चौराहे पर हमारी 140 साल पुरानी परचून की दुकान है। पहले इस दुकान में बाबा बैठते थे फिर पापा और अब हम बैठते हैं। यहां पर बाबा के समय से मुस्लिम समुदाय के लोग होलिका दहन की सारी व्यवस्था करते हैं। इसके बाद रात में दोनों समुदाय के लोग एकत्र होते है। हम लोग पूजा पाठ करते है। इसके बाद सभी लोग एक दूसरे को गले लगाते हैं। गुलाल लगाकर होली की बधाई देते हैं। दूसरे दिन सभी लोग होली भी खेलते हैं। यह आज से नहीं हैं, जब से पैदा हुआ हूं तब से देख रहा हूं। दादामियां चौराहे की होली पूरे देश में जानी जाती हैं। यहां पर हम सभी लोग भाई-भाई की तरह रहते हैं। होली का त्योहार ही नहीं हम लोग सभी त्योहार एक साथ मनाते हैं। लेकिन होली का त्योहार यहां पर इसलिए भी खास है कि यहां पर हिंदू भाइयों के लिए हम लोग हर तरह की व्यवस्था करते हैं। सैकड़ों वर्ष पुरानी इस प्रथा को हम लोग हमेशा बनाए रखने का प्रयास करते हैं, जिस तरह से हर वर्ष चौराहे पर लकड़ी जमा करते हैं। इस बार भी सभी लोग लकड़ी लाकर होलिका दहन का कार्यक्रम संपन्न कराएंगे। इसके अलावा भी अगर कोई हिंदू भाई किसी चीज की मांग करते हैं तो हम लोगों का प्रयास रहता है कि उसे भी पूरा किया जाए। त्योहार से पहले दोनों समुदाय के लोग बैठक भी करते है। उसमें चर्चा करते हैं कि किस तरह से क्या-क्या व्यवस्था होनी चाहिए। दादामियां की होली को लेकर सभी जगह चर्चा रहती है। हमारा भी प्रयास रहता है कि इस होली को दिन प्रति दिन भव्य रूप दें, क्योंकि यहां पर हर त्योहार को हम लोग मिलकर मनाते हैं। किसी तरह का भेदभाव यहां देखने को नहीं मिलता है। मुस्लिम समुदाय के लोगों के घरों से बच्चो से लेकर बुजुर्ग सभी लोग होली के दिन घर से निकल कर आते हैं और हिंदुओं की पूजा की सामग्री से लेकर हर किसी चीज की व्यवस्था कराने में सहयोग करते हैं। जब होली जलती है तो उस समय भी दोनों तरफ के लोग यहां पर मौजूद रहते हैं।