November 21, 2024

राम सनातनियों के भी हैं और मुसलमानों के भी। इंडोनेशिया राम आस्था का सबसे बड़ा मुस्लिम राष्ट्र है कल्लू अंसारी..

बादशाह अकबर श्री राम के चरित्र से इतना प्रभावित था कि उसने सोने – चांदी का सिक्का जारी किया था इन सिक्कों पर अरबी भाषा में राम सिया लिखा हुआ था कल्लू अंसारी

*है राम के वजूद पे हिंदुस्तां को नाज।* 

*अहले नजर समझते हैं उनको इमाम – ए – हिंद।।* शायर अल्लामा इकबाल
हम बाबर औरंगजेब की औलाद नहीं हम श्री राम के वंशज हैं हमारे फेस आईडेंटिटी हिंदुस्तानी है। 

अयोध्या मथुरा काशी जाने से हम दीन से खारिज कैसे हो सकते हैं जिनके हम सब 140 करोड़ भारतीय श्री राम के वंशज हैं।

आगरा। राम मंदिर राष्ट्रीय मंदिर रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की अपील आगरा से सूफी संत मलंग मुस्लिम राष्ट्र मंच के राष्ट्रीय संयोजक कल्लू अंसारी ने सभी मुस्लिम समाज से अपील की है कि राम मंदिर – राष्ट्र मंदिर – रामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा सुप्रीम आदेश के अनुसार की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च 2017 को निर्णय कर श्री राम मंदिर – बाबरी मस्जिद इस विषय पर कोर्ट के बाहर समझौता करने का विचार रखा। सच कहा जाए तो न्यायालय के उक्त निर्णय का स्वागत दोनों धर्मो के लोगों द्वारा किया जाता लेकिन आचार – विचारों के आदर्श से देश के मुस्लिम बंधुओं ने श्री राम मंदिर बनाने के शुभ अवसर को खो दिया है। अगर ऐसा होता तो इस भारत देश से हिंदू – मुस्लिम के बीच का धार्मिक द्वेष हमेशा के लिए मिट जाता भारत सभी मजहबों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। यह भारत की गंगा जमुनी तहजीब ही है कि सनातनी धार्मिक ग्रंथो में से कई मुसलमान शासको ने उर्दू – फारसी में अनुवाद करवाया है। श्री राम केवट के भी हैं और शबरी के भी। राम सनातनियों के भी हैं और मुसलमानों के भी। इंडोनेशिया राम आस्था का सबसे बड़ा मुस्लिम राष्ट्र है। दरअसल राम धर्म या देश की सीमा से मुक्त है। फरीद, रसखान, आलम रसलीन, हमीदुद्दीन नागोरी, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती आदि कई रचनाकारों ने राम की काव्य – पूजा की है। कभी खुसरो ने भी तुलसीदास जी से 250 वर्ष पूर्व अपनी मुकरियो में राम को नमन किया है। बादशाह अकबर ने दीन – ए – इलाही के माध्यम से 1604 – 1605 में भगवान श्री राम के चरित्र से इतना प्रभावित था कि उसने सोने – चांदी का सिक्का जारी किया था इन सिक्कों पर उर्दू या अरबी भाषा में राम सिया लिखा हुआ था। शायर अल्लामा इकबाल ने भगवान श्री राम को इमाम – ए – हिंद कहते हुए शेर लिखते कहा था

*है राम के वजूद पे हिंदुस्तां को नाज।* 

*अहले नजर समझते हैं उनको इमाम – ए – हिंद।।* 

इमामे हिंद का अर्थ यह हुआ कि भगवान श्री राम उनके आदर्श सारे हिंदुस्तान व दुनिया को सच्चाई और नेकी का रास्ता दिखा रहा है। सन 1856 में हिंदू और मुसलमान के बीच में एक समझौता हुआ था। वह समझौते में यह  तय हुआ कि मुसलमान राम मंदिर की जगह हिंदू समाज को वापस कर देंगे। इसलिए इस विवाद को निपटाने के लिए तत्कालीन समय में मुस्लिम नेता मौलाना अमीर अली ने मुसलमानो से आव्हान किया था कि फर्ज – ए – लाई हमें मजबूर करता है कि हिंदुओं के खुदा रामचंद्र जी की पैदाइशी जगह पर जो बाबरी मस्जिद बनी है वह हम हिंदुओं को खुशी-खुशी सुपुर्द कर दें। क्योंकि हिंदू मुस्लिम नाईत्तेफाकी और गलतफहमी की सबसे बड़ी जड़ यही है । लेकिन अंग्रेजों ने उस समझोते को क्रियान्वित नहीं होने दिया, क्योंकि अंग्रेजों की यह साम्राज्यवादी निति थी कि ऐसे भावनात्मक विवाद के मुद्दों को बनाए रखा जाए ताकि दोनों आपस में लड़ते रहे और अंग्रेजों को इस बात का अनुभव हो गया था कि हिंदू मुस्लिम एकता और इस देश के दिलों को जोड़ने वाली राम की शक्ति उनके लिए कितनी घातक और खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए राम जन्मभूमि विवाद को समाप्त करने के लिए आवाज उठाने वाले मौलाना अमीर अली और हनुमानगढ़ी के महंत बाबा रामचरण दास को अंग्रेजों ने 18 मार्च 1858 को अयोध्या में हजारों हिंदुओं और मुसलमानो के सामने कुबेर टीले पर फांसी दे दी गई। इसी कारण उस समय यह विवाद समाप्त नहीं हो पाया। परन्तु विडंबना यह रही की आजादी के बाद भारतवर्ष के मुस्लिम समाज में कोई ऐसा नेता उभर कर नहीं आया की हजार वर्ष के इतिहास में जो भावनात्मक कटुता पैदा कर दी है, उसे दूर करने की कोशिश करता। अंग्रेज तो नहीं चाहते थे कि यह कटुता दूर हो । सूफी संत मलंग मुस्लिम राष्ट्र मंच के राष्ट्रीय संयोजक कल्लू अंसारी ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि हमारे लिए भगवान श्री राम का कितना महत्व है। अंग्रेजों ने 18 मार्च 1858 ईस्वी में मौलाना अमीर अली और बाबा रामचरण दास को अयोध्या में फांसी नहीं दी गई होती तो हिंदू मुस्लिम कटुता समाप्त उसी समय हो जाती। आइए हम सब मिलकर अपने इमाम – ए – हिंद श्री राम के प्राण प्रतिष्ठा को सनातनी भाइयों के साथ मिलकर 23 जनवरी से छोटे-छोटे समूह में शामिल होकर राम मंदिर राष्ट्र मंदिर एक शाझी विरासत का दीदार करने अयोध्या जाएंगे। हमने अपना धर्म बदला है इबादत का तरीका बदला है लेकिन अपने बुजुर्गों को नहीं बदला है हम शक्ल सूरत से भी भारतीय थे भारतीय है और भारतीय ही रहेंगे हम अरब से नहीं आए हम सब भारतीयों का डीएनए एक ही है हम बाबर औरंगजेब की औलाद नहीं हम श्री राम के वंशज हैं हमारे फेस आईडेंटिटी हिंदुस्तानी है। हमारे सनातनी भाई दरगाहों मजारों पर जाते हैं उर्स मे हजारों की तादाद में जाकर चादरपोशी करते हैं उनकी धार्मिक आस्था समाप्त नहीं होती। हम अपने इमाम – ए – हिंद श्री राम का दीदार करने अयोध्या मथुरा काशी जाने से हम दीन से खारिज कैसे हो सकते हैं जिनके हम सब 140 करोड़ भारतीय श्री राम के वंशज हैं। हमारी संस्कृति सभ्यता गंगा जमुना तहजीब का एक अटूट संगम भारतवासियों को एकता अखंडता से जोड़कर रखता है। दुनिया का कोई देश भारत जैसा नहीं यहां सातों धर्मो के लोग अपनी धार्मिक परंपराओं के साथ मिलकर रहते हैं। यही सच्चाई है जिसको स्वीकार करें भारतीय सनातनी मुस्लिम राम मंदिर रामलाल के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को ईद मिलादुन नबी श्री राम के नाम से मनाएंगे तथा मंदिरों मस्जिदों दरगाहों पर अपने-अपने घरों को रोशन करेंगे मादरे वतन हिंदुस्तान जिंदाबाद राम मंदिर राष्ट्र मंदिर हम सबके राम जय श्री राम।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related News