संवाददाता।
कानपुर। नगर में वीएसएसडी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग ने 20 से 22 फरवरी तक तीन दिवसीय “अनुवाद और बहुसंस्कृतिवाद पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी” का आयोजन किया गया। उद्घाटन समारोह में भारत पढ़ता है आंदोलन की शुरुआत हुई। प्राचार्य विपिन कौशिक ने स्वागत भाषण देते हुए महाविद्यालय के 101 सालों का इतिहास सांझा किया। प्रोफेसर के. इलांगो के मार्मिक संबोधन और फिर उसके बाद एएलटीएआई के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया। इसके बाद प्रोफेसर रतन भट्टाचार्य (वर्जीनिया विश्वविद्यालय, यूएसए) का संबोधन हुआ और फिर कैलिडोस्कोपिक इंडियन अमेरिकन सोसाइटी (केआईएएस) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसने अनुवाद अध्ययन के क्षेत्र में सहयोग के एक नए युग की शुरुआत की।प्रो. नीरू टंडन ने कहा आज राम को विश्व भर में पढ़ा जाता है और गीता का 59 भाषाओं में अनुवाद होने से लगभग पूरा विश्व राम कृष्ण के आदर्श मूल्यों को आत्मसात कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय महाकाव्यों का अनुवाद करने से भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी। ये महाकाव्य भारत की समृद्ध संस्कृति और इतिहास की झलक पेश करते हैं और विश्व भर के लोगों को भारत के बारे में जानने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। वीएसएसडी कॉलेज के प्रबंधन बोर्ड की संयुक्त सचिव नीतू सिंह ने सत्रों के लिए दिशानिर्देश प्रदान किए। वैश्विक दुनिया में भाषाई और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति समानता, सहिष्णुता और “वसुधैव कुटुम्बकम” के सिद्धांतों पर आधारित है। हमारी संस्कृति का प्रचार-प्रसार करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम अनुवाद करें और उन्हें विश्व भर के लोगों के साथ साझा करें।