आ स. संवाददाता
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के आधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर ने अंगीकृत किये गए गांव फंदा की महिलाओं को दो दिवसीय सजावटी दिया बनाने का प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण में मिट्टी के दिए को सजाने का तरीका बताया गया। साथ ही रुई, बत्ती, मोम व घी की मदद से सॉलिड बत्ती बनाने का तरीका बताया गया।
प्रशिक्षण में रुई बत्ती व सजावटी दिया बनाना सिखाते हुए व बनाते हुए स्वास्थ्य ग्रह वैज्ञानिक डा. निमिषा ने बताया कि दिवाली, शादी बारातों व अन्य उत्सवो में यह सारी चीजे सजावट हेतु प्रयोग की जाती हैं।
बाजार में जो साधारण दिया 5 रूपये का आता है, वही दिया सजावट करके 20 रूपये से लेकर 35-40 रुपए तक पड़ता है। महिलाएं इस तरह के काम करके आय अर्जित कर सकती हैं। डा. निमिषा ने बताया कि रुई की बत्ती को सांचे में रखकर या दिए में रखकर ऊपर से पिघला हुआ घी और मोम डालकर उसको ठंडा होने पर सांचे से निकालें। जिससे वह सुंदर भी होगा और सॉलिड होगा। इसे वह कहीं पर भी ले जा सकती है व जलाने पर देर तक जलती है यह दिए भी बाजार में मॉल में 2 रूपये प्रति के हिसाब से मिलते हैं महिलाएं समूह में यह गतिविधियां अपना कर पैसे कमा सकती हैं।
कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ. ए. के. सिंह प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र ने कहा कि इस तरह की सामग्री से बाजार में बहुत समस्या नहीं होती है महिलाएं दुकानों में संपर्क करके इस तरह के दिए बनाकर आसानी से बेच सकती हैं।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मिथिलेश वर्मा ने महिलाओं को विभिन्न प्रकार के चूल्हे बनाकर ऊर्जा व थकान से बचाव के तरीके बताएं। कार्यक्रम में उद्यान वैज्ञानिक डॉ. अरुण सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति में सभी धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक आयोजनों एवं मंदिरों में दीप जलाने की परंपरा है।
प्रसार वैज्ञानिक डॉ. राजेश राय ने कहा की ऑन लाइन मार्केटिंग पोर्टल पर भी मार्केटिंग की जा सकती है। पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने कहा की महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण आवश्यक है।
इस कार्यक्रम में उपेंद्र सिंह, शुभम यादव व फंदा गांव की महिलाओं नीतू, सोनी, माया इत्यादि ने प्रतिभाग किया।