January 21, 2025

भूपेन्द्र सिंह

कानपुर। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ के लिए साल 2024 कुछ खास सफलता की कहानी गढ नही पाया। प्रदेश क्रिकेट संघ ने इससे बुरे दिन अपनी स्थापना से आज तक कभी नही देखें होंगे जब पदाधिकारियों के बीच ही हाथा-पाई और गाली-गलौज की नौबत आयी हो। वहीं कई खिलाडियों ने चयन प्रक्रिया पर भी आरोप लगाए, तो घायल महिला खिलाडी को टीम में शामिल करने का कारनामा भी इसी साल देखने को मिला। अगर देखा जाए तो जूनियर स्तर की टीमों के प्रदर्शन को ही थोडा सफल माना जाएगा । बीते साल में प्रदेश क्रिकेट संघ में एक ट्राफी को छोडकर केवल बदनामियों का अम्बार ही ट्राफियों के रूप में संघ के कार्यालय में जमा होता गया। इसके अलावा क्रिकेट में कुछ अधिक उपलब्धि संघ की कोई भी टीम नही पा सकी जबकि संघ के भीतर मचे घमासान के चलते कई मामले पुलिस की दहलीज तक अवश्य ही पहुंच गए। यही नही जो पुलिसजन कभी प्रदेश संघ के कार्यालय केवल मैचों के पास लेने के लिए आते रहे, वही अब मामलों की जांच के लिए फाइलों को अपने साथ ले जाने के लिए विवश हुए। यही नही साल के जाते जाते प्रदेश के एक सितारा खिलाडी ने क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर संघ की चयन प्रक्रिया को आईना दिखाने का काम कर डाला। लेकिन प्रदेश क्रिकेट संघ अपने पुराने ढर्रे में ही गतिविधियों को अंजाम देने में मशगूल दिखायी दे रहा है। मुख्य प्रशिक्षक सुनील जोशी की वापसी पर पर लाखों रुपए खर्च करने वाले संघ की सीनियर टीम भी किसी प्रकार चैम्पियन बनने के आसपास नही पहुंच सकी। यूपीसीए के सूत्र बताते हैं कि सुनील जोशी पर संघ के आला अधिकारी के साथ ही कई सदस्यों की मेहरबानी के चलते उन्हे दोबारा टीम से जोडा गया है।हालांकि क्रिकेट की बुरी दशा संघ के लिए कोई नई बात नही है कई सालों से ऐसा होता चला आ रहा है। अब तो क्रिकेट की कमान ही ऐसे लोगों के हाथ में दे दी गयी है जिनपर वर्तमान पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार का आरोप लगवाकर हटवा दिया था।अगर 2021 के अपवाद को छोड दिया जाए जिसमें यूपी की टीम विजय हजारे एक दिवसीय क्रिकेट प्रतियोगिता में मुम्बई से खिताबी मुकाबले में पराजित हो गयी थी, लेकिन इस बार टीम वहां तक भी नही पहुंच सकी और बदनामी अलग मोल ले ली। इस बार संघ के भीतर मचा घमासान छीछालेदर तक पहुंच चुका है जो इससे पहले शायद ही कभी पहुंचा हो। अब तो इस बार महिला क्रिकेट से जुडीं पदाधिकारी और कर्मचारी भी एक दूसरे के कपडे फाडने पर उतारू हो गयी जो क्रिकेट जगत में संघ की बदनामी के लिए विशेष तौर पर जाना गया। साल का सबसे अधिक रोमाचंक किस्सा संघ के पूर्व सचिव और वर्तमान सचिव के बीच लखनऊ में विवाद रहा जहां दोनों ने एक दूसरे की मॉं बहन तक सेंक डाली । सुपर एजेन्टों की पोल भी खुलकर देखने को मिली जिससे यह भी साबित हो गया कि खिलाडियों की चयन प्रक्रिया में कई सालों से धांधली बरकरार है। यही नही संघ के भीतर चल रहे घमासान में दो पूर्व सचिवों के वरदहस्त सुपर सेलेक्टर और उनके एजेन्ट भी प्रभावी ढंग से कार्य करते रहे जिसका खामियाजा रहा कि टीम में बेहतरीन खिलाडियों की आमद न के बराबर रही। दिल्ली‍ और हरियाणा और उससे सटे प्रान्तों से क्रिकेटरों का आयातित किया जाना भी इस साल यूपीसीए के लिए खासा पहचाने जाने वाला साल साबित हुआ।  अभी भी कुछ मामले कहीं पुलिस तो कहीं राजभवन के साथ ही न्यायालय के दरवाजों पर खडे है जो वक्त का इन्तजार कर रहे हैं।क्रिकेट जगत के लोग यह आशा जता रहे हैं कि साल 2025 यूपीसीए के साथ ही प्रदेश के क्रिकेटरों के लिए आशा से भरा साल हो, और संघ की पुरानी छवि एक बार फिर से लौट आए।