कानपुर। साल 1952 से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों की मेज़बानी करने वाले ग्रीनपार्क स्टेडियम में 2009 के बाद से आयोजित होने वाले टेस्ट , टी-ट्वेंटी और वनडे मैच विवादो के घेरे में रहे है।हमेशा की तरह इस बार भी आयोजित किए जाने वाले टेस्ट मैच से पहले दर्शक दीर्घाओं की जर्जरता का मुद्दा फिर से उठ गया। ग्रीनपार्क की जर्जर दीर्घाओं का मुददा इसलिए भी उठ गया क्योंकि यूपीसीए ने बीते 9 सालों से दीर्घाओं की मेन्टीनेन्स का काम शून्य से भी नीचे जाकर करवाने की जहमत नही उठायी। ग्रीनपार्क और यूपीसीए के बीच हुए एमओयू के तहत स्टेडियम की दो दीर्घाओं को छोडकर सभी का मेन्टीनेन्स प्रदेश क्रिकेट संघ को ही कराना था। ग्रीनपार्क की सबसे जर्जर दर्शक दीर्घा ई पब्लिक और सी बालकनी का नाम प्रमुखता से जोडा जा सकता है। इन दोनों दीर्घाओं में बालू की बोरी रखकर उनको नीचे से सपोर्ट करने का काम करने के लिए पीडब्लूडी के इन्जीनियरों ने संघ के अधिकारियों से सहमति जता दी इसके बाद से उनपर सीटों के नीचे बालू की बोरी रखने के लिए कवायद शुरु कर दी गयी। अगर देखा जाए तो इन दोनों दीर्घाओं में बालू की बोरियों की संख्या वहां मौजूद दर्शकों से अधिक ही रहेगी। माना यह भी जा रहा है कि इन दोनों दीर्घाओं में अगर पूरी क्षमता के आधार पर दर्शकों को बिठाने की अनुमति प्रदान की गयी तो वह लोड अधिक देर तक बर्दाश्त नही कर सकेगा और दीर्घा ढहने की स्थित में आ सकती है। कानपुर में ग्रीनपार्क में होने वाले टेस्ट मैच में यदि एक साथ 500 दर्शक चौके या छक्के पर उछले तो सी बालकनी व सी स्टाल समेत ई पब्लिक दर्शक दीर्घा भरभरा कर नीचे गिर सकती है। दीर्घाओं की मरम्मत की तैयारी में यूपीसीए और पीडब्लूडी के अधिकारी अपने दलबल के साथ पूरी तरह से जुटे हैं। इन दोनों ही दीर्घाओं की दर्शक क्षमता 10300 है और बिना मरम्मत यहां दर्शकों को बैठाया गया तो बड़ा हादसा हो सकता है। टूटी दीर्घाओं, खराब कुर्सियों आदि की सिर्फ मरम्मत हो रही है। किसी प्रकार का नया काम नहीं किया जा रहा है। वहीं ग्रीनपार्क में दर्शक क्षमता को बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। ग्रीनपार्क के ई पब्लिक गैलरी के सामने बोरियों का रखा स्टॉक साफ तौर पर यह बता रहा है कि वहां पर दर्शकों से अधिक बोरियां रखी जाएंगी, ऐसा भी नही कहा जा रहा है कि उन दीर्घाओं की मरम्मत यूपीसीए की ओर नही करवायी जा रही। नीचे से तीसरी सीढियों तक उसपर मरम्मत का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। इस मामले में ग्रीनपार्क के नोडल अधिकारी से बात करने की कोशिश पूरी तरह से विफल रही । वहीं संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि बालू की बोरियां जब पानी का बहाव रोकने में सफल हो सकती हैं तो फिर दीवारों समेत सीढियों को संभालना कोई बडी बात नही ये धटना से बचाने के लिए संघ की ओंर से उठाया गया ये सराहनीय कदम है।