
आ स. संवाददाता
कानपुर। जीटी रोड सड़क हादसों का बड़ा कारण बन गई है। दोपहिया वाहन सवार इस सड़क पर बिना बड़े गड्ढों में फंसे निकल ही नहीं सकते हैं। लगभग पूरी सड़क पर ही पैचवर्क हो चुके हैं। अब आलम ये है कि सड़क पर 10-10 फीट चौड़ाई-लंबाई जितने गड्ढे हो गए हैं। जरा सा चुके तो एक्सीडेंट होना तय है।
सांसद से लेकर विधायक और डीएम तक जीटी रोड पर गड्ढों को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। लेकिन एनएच और पीडब्लूडी के अभियंता सड़क निर्माण का टेंडर करने के बजाय गड्ढे कैसे भरे जाएं, इसकी व्यवस्था करने में जुटे हैं।
जीटी रोड पर गड्ढों की वजह से छोटे-मोटे हादसो की संख्या दोगुनी हो गई हैं। जीटी रोड पर गाड़ी की स्पीड भी घटकर 20 से 30 किमी प्रति घंटा रह गई है।
गोल चौराहा से आईआईटी के बीच करीब 500 से ज्यादा गड्ढे हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों की मानें तो 154 गड्ढे ही गिने गए है। गोल चौराहा पर कॉर्डियोलॉजी के पास ही बड़ा गड्ढा है। इससे हार्ट पेशेंट्स से लेकर एंबुलेंस तक को आने-जाने में परेशानी हो रही है।
इससे आगे बढ़ने पर रावतपुर तिराहा के पास कई छोटे-बडे़ गड्ढे हैं यहां बाइक सवार से लेकर कार सवार तक लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है। इसके बाद आगे बढ़ने पर गुमटी नंबर 9 क्रॉसिंग के पास हालात कुछ ठीक हैं। लेकिन पैचवर्क होने से सड़क में हल्के-हल्के गड्ढे हो गए हैं।
कानपुर यूनिवर्सिटी के पास हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। यहां करीब 10-10 फीट लंबाई-चौड़ाई में 10 इंच गहरे गड्ढे हो गए हैं। इसके बाद कल्याणपुर के पास भी हालात खराब हैं। यहां भी बड़े-बड़े गड्ढे हादसों को दावत दे रहे हैं।
शहर के अंदर से जीटी रोड का 21 किमी लंबा हिस्सा गुजरा है। इस रोड पर रोजाना करीब 20 लाख से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। इसमें दोपहिया वाहर सवार सबसे अधिक हैं। इस रोड पर प्रतिदिन औसतन 20 से 30 छोटे-मोटे हादसे हो रहे हैं।
5 साल पहले मेट्रो ने आईआईटी से मोतीझील तक 9 किमी लंबाई सड़क का निर्माण करवाया था। यहाँ सड़क का निर्माण दिसंबर-2021 में किया गया था। इसके बाद से सड़क का निर्माण नहीं किया। बल्कि एनएच और पीडब्लूडी के द्वारा सड़कों के गड्ढे भरे गए। 5 साल भी यह सड़क नहीं चली।
पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी अभियंता अरुण कुमार जयंत ने बताया कि सड़क परिवहन मंत्रालय के नियमों के चलते 50 किमी कम के टेंडर नहीं होने के कारण छह माह से जीटी रोड की मरम्मत का काम फंसा है।
इंजीनियरों ने रोड की मरम्मत कराने के लिए जीटी रोड के साथ ही हरदोई, उन्नाव, कन्नौज जिले की 53 किमी रोड के निर्माण का प्रस्ताव भी भेजा था, जिसे मंत्रालय ने स्वीकृत करते हुए 70 करोड़ रुपये का टेंडर निकाला गया था, लेकिन टेंडर लेने के लिए पहुंची पांच फर्मों के आवेदन तकनीकी कारणों के चलते खारिज कर दिए गए। अब रीटेंडरिंग की कार्रवाई की जा रही है।
अधिशाषी अभियंता ने बताया कि टेंडर करने के बाद अब सड़क निर्माण में करीब 1 माह का समय लग सकता है। गड्ढे कैसे भरे जाएं, इसकी व्यवस्था की जा रही है। बड़े पैचवर्क का काम पहले शुरू किया जाएगा। वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है।