January 18, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
क्रिसमस डे को बड़े दिन के रूप में मनाया जाता है। कानपुर शहर के लिए 25 दिसंबर वाकई एक बड़ा ऐतिहासिक दिन है। क्योंकि इसी दिन सन 1906 में शहर के कई चर्चो और अंग्रेज अधिकारियों के घर पर पहली बार बिजली के बल्ब जले थे।
कानपुर में पहली बार ये बल्ब 25 दिसंबर 1906 को जलाए गए थे। इसके बाद शहर के 6 वार्डों में बिजली के बल्ब से रोशनी साल 1909 में सप्लाई कंपनी के माध्यम से शुरू हुई थी।
कानपुर इतिहास समिति के महासचिव अनूप शुक्ला ने कानपुर में बिजली के बल्ब को पहली बार जलाए जाने की पुष्टि की है । उन्होंने कई इतिहास की किताबों में इसका वर्णन किया जाने की बात कही और इसके साथ अपर इंडिया चैंबर आफ कॉमर्स कानपुर की 1888 से 1938 की रिपोर्ट में इसका वर्णन किया जाने की बात बताई।
कानपुर में 25 दिसंबर को क्रिसमस के दिन कानपुर इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रेक्शन कंपनी ने शहर के चर्च जिनमें क्राइस्ट चर्च के साथ शहर के पुराने चर्चों में सबसे पहले बिजली के बल्ब जलने के लिए सप्लाई का काम किया था। 1857 के बाद रसेल ने वर्णन किया है कि कानपुर में रोशनी के लिए केरोसिन का लैंप बांस के डंडों में बांधकर जगह-जगह लटका दिया जाता था। इसके अलावा कई जगह दीए जलाकर दीवारों में बने आलों में रखकर रोशनी की जाती थी।

पहली बार 1758 में अंग्रेज कानपुर आए। इसके बाद 1778 में अंग्रेजों ने अपनी पहली सैन्य टुकड़ी भेज कर कानपुर में छावनी बनाई। 10 नवंबर 1801 में कानपुर बना। लेकिन 8 मार्च 1802 में कानपुर में पहली कलेक्ट्री  कायम हुई। इसी साल अब्राहम बैलेंट को कानपुर का पहला कलेक्टर बनाया गया था।

कानपुर के पहले चर्च को लेकर भी इतिहास में पाया गया है, कि तकरीबन 1809 में पहला चर्च एक बंगले में शुरू हुआ था। जब कर्नल शेरवुड यहां पर थे। इस दौरान लंदन से मार्टिन आए, जिन्होंने ईसाई धर्म के प्रचार के लिए एक बंगले में चर्च की शुरुआत की थी। अंग्रेजों ने बिजली को प्लान करने के लिए शहर के वीआईपी रोड के पास एल्गिन मिल के बगल में पावर हाउस निर्माण का खाका खींच दिया था।
इस स्थान को रिवर साइड पावर हाउस नाम दिया गया था। सबसे पहले बिजली की सप्लाई शहर के लिए यहीं से शुरू हुई। क्योंकि यह गंगा के किनारे बनाया गया था और पानी से ही बिजली बनाने का काम किया जाता था। धीरे-धीरे पूरे शहर में विकास के तौर पर बिजली की सप्लाई यही से की गई। परेड के पास सन 1925 में बिजली घर बना। इसके बाद सारा काम इसी बिजली घर से किया जाने लगा।
अंग्रेजों ने शहर में बिजली का पहला बल्ब जलाए जाने के लिए क्रिसमस के दिन को ही चुना। क्योंकि क्रिसमस के दिन वह रोशनी का तोहफा देकर लोगों में खुशियां लाना चाहते थे। चर्च और अंग्रेज अधिकारियों के बंगले पर सबसे पहले बिजली के बल्ब जले थे। इसके बाद 1909 में शहर के अलग-अलग हिस्सों में भी धीरे-धीरे बिजली के बल्ब जलने के लिए बिजली की सप्लाई शुरू की गई।