November 15, 2025

संवाददाता

कानपुर। सीएमओ विवाद में नया मोड़ आ गया है। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रसाद सिंह ने भिड़ने वाले डॉ. हरिदत्त नेमी का निलंबन आदेश निरस्त कर दिया है। अब वे कानपुर के सीएमओ बने रहेंगे। वहीं वर्तमान सीएमओ डॉ. उदयनाथ को हटा दिया गया है। उन्हें श्रावस्ती वापस भेज दिया गया है।

27 दिन पहले डॉ. हरिदत्त नेमी को सस्पेंड कर लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया गया था। डॉ. उदयनाथ को कानपुर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके बाद डॉ. हरिदत्त नेमी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच चले गए।

हाईकोर्ट ने डॉ. हरिदत्त नेमी का सस्पेंशन रद्द कर दिया। इसके बाद डॉ. हरिदत्त नेमी कानपुर ऑफिस पहुंचे और वहां सीएमओ की कुर्सी पर बैठ गए। दो दिनों तक जमकर ड्रामा चला। इसके बाद कानपुर पुलिस ने डॉ. हरिदत्त नेमी को ऑफिस से बाहर निकाल दिया था।
डॉ. हरिदत्त नेमी ने फिर से निलंबन के खिलाफ कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की। कोर्ट ने 17 जुलाई को सुनवाई की तारीख तय की। इसके बाद राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई। स्वास्थ्य विभाग के सचिव की तरफ से तबादला निरस्त करने का निर्देश जारी कर दिया गया।
डॉ. हरिदत्त नेमी ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सरकार के फैसले के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। उन्होंने इसमें कहा कि उनके तबादले पर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बावजूद उन्हें जबरन हटाया गया। 

याचिका 14 जुलाई 2025 को दाखिल हुई और 15 जुलाई को पंजीकृत हो गई। याचिकाकर्ता डॉ. हरिदत्त नेमी ने प्रमुख सचिव स्वास्थ्य, डीएम कानपुर, एडीएम, एसीपी, थाना चकेरी एसएचओ और वर्तमान सीएमओ कानपुर को पार्टी बनाया था। डॉ. नेमी के अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा ने कहा कि स्टे आदेश के बावजूद अधिकारियों ने तबादला लागू कराया। यह पूरी तरह से न्यायालय के आदेश की अवमानना है। यह न्यायिक आदेशों के सम्मान का सवाल है।
कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को 18 जून को सस्पेंड कर दिया था। हरिदत्त नेमी ने अपने निलंबन के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकलपीठ ने 8 जुलाई को उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी। राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब मांगा था।
डा. हरिदत्त नेमी का कहना था कि मेरे विरूद्ध बिना विभागीय जांच बैठाए मुझे निलंबित कर दिया गया। डॉ. उदय नाथ को सीएमओ बना दिया गया। कोर्ट के आदेश में भी स्पष्ट कहा गया है कि निलंबित करते समय कोई जांच कार्यवाही नहीं की गई।
इस आरोप का इतना बड़ा दंड नहीं दिया जा सकता। ऐसे में उप्र सरकारी सेवक नियमावली के तहत निलंबित नहीं किया जा सकता।
ब्यूरोक्रेसी के इस ड्रामे की शुरुआत 9 जुलाई की सुबह 9.30 बजे हुई थी। डॉ. हरिदत्त नेमी कार्यालय में पहुंचे। वह सीधे सीएमओ ऑफिस में अपनी टेबल पर पहुंचे और कुर्सी खींचकर बैठ गए।
इधर घड़ी में 10 बजे, उधर डॉ. उदयनाथ की कार भी कार्यालय पहुंच गई। वह लोगों के बीच से अपनी टेबल की तरफ बढ़े, मगर वहां पहले से डॉ. नेमी बैठे हुए थे। उन्होंने टेबल के दूसरी तरफ रखी एक कुर्सी को खींचकर डॉ. उदयनाथ के बगल में लगा ली। डॉ. नेमी ने कहा कि मैं स्टे लेकर आया हूं, उसमें आपका भी स्टे है। अब आपकी जहां पर ज्वॉइनिंग थी, वहीं पर जाना पड़ेगा। आप चाहे तो शासन से एक बार बात कर लीजिए।

यह विवाद 5 फरवरी, 2025 से शुरू हुआ था, जब कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ ऑफिस में छापा मारा था। इस दौरान सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी समेत 34 अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर मिले थे। डीएम ने सीएमओ कार्यालय से ही एक वीडियो जारी किया। उन्होंने कहा कि रजिस्टर में नाम लिखे हैं, लेकिन 34 अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में नहीं मिले। सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया गया था।

इस एक्शन के बाद डीएम और सीएमओ के बीच खटास शुरू हुई। इससे पहले डीएम लगातार सीएचसी और पीएचसी पहुंचकर कमियां उजागर कर रहे थे। इस मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब डीएम के कहने पर भी सीएमओ ने लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई एक्शन नहीं लिया।