
आ स. संवाददाता
कानपुर। पैरो से दिव्यांग सुनिल मंगल की कहानी किसी फिल्म के हीरो से कम नहीं हैं। दिव्यांगता को मात देकर वो देश भर के किसी भी बड़े आयोजनों में हिस्सा लेने से नहीं चूकते हैं। चाहे वो प्रयागराज का महाकुंभ हो, अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो या फिर श्री हरी कोटा में चंद्रयान की लॉचिंग हो। वो सभी के साक्षी बनते हैं। इनकी कहानी अभी यही तक ही सीमित नहीं हैं। वोटरों को जागरूक करना हो, या तिरंगा यात्रा जैसे कार्यक्रम हो उसमें भी अहम भूमिका निभाते हैं।
कानपुर के कल्याणपुर आवास विकास केशवपुरम निवासी सुनील मंगल को बचपन में पोलिया हो गया था, जिस कारण उनके कमर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है। सुनील मंगल वैसे तो एलआईसी का काम देखते हैं। लेकिन समाज सेवा में भी पीछे नहीं हटते हैं। यही कारण है कि सुनील मंगल आज पूरे शहर में ही नहीं बल्कि जहां भी जाते है अपनी एक अलग छाप छोड़कर आते हैं।
सुनील मंगल अपने स्पेशल कार से पत्नी सविता और बेटे अमन मंगल के साथ 17, 18, 19 जनवरी को महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे थे। इसके बाद वह 20, 21 और 22 फरवरी को भी परिवार के साथ प्रयागराज गए। यहां पर संगम में स्नान करने के बाद शहरवासियों के लिए संगम का जल लेकर आए, जो लोग संगम नहीं जा सकते थे, उन्हें वो जल भेंट किया।
इससे पहले वो 22 जुलाई 2022 को श्री हरी कोटा में चंद्रयान की लॉचिंग को देखने के लिए गए। ये ही नहीं इससे पहले भी जब चंद्रयान की लॉचिंग हुई थी, तो वो उसके भी साक्षी बने थे। सुनिल मंगल का कहना है कि सभी बड़े आयोजनों में जाना मुझे अच्छा लगता है। खास कर उन जगहों पर जहां पर अपने देश की बात होती हैं।
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में भी वह पहुंचे थे। वहां से आने के बाद अयोध्या की भव्यता के बारे में लोगों से अपनी बाते साझा कर लोगों को अयोध्या जाने के लिए प्रेरित करते थे। वहीं, 16 सितंबर 2024 को केबीसी में भी आमंत्रित थे।
सुनील मंगल ने दिव्यांगों की समस्याओं को देखते हुए एक सर्वे किया। इसमें उन्होंंने करीब 100 सरकारी संस्थानों और प्राईवेट ऑफिस को शामिल किया। इसमें उन्होंने बताया कि दिव्यांगो को ध्यान में रखकर बिल्डिंग का निर्माण नहीं कराया गया है।
अगर दिव्यांग अपनी परेशानी लेकर जाए तो वह ऑफिस के अंदर तक पहुंच ही नहीं सकता है। न तो ऑफिसों में दिव्यांगों के लिए टॉयलेट है न रैंप। इस पूरे प्रोजेक्ट को केंद्र और प्रदेश सरकार के सबमिट किया। इसके बाद केंद्र सरकार के सेक्रेटरी डिपार्टमेंट के राजेश अग्रवाल ने इस पर मोहर लगाई।
इसके बाद राजेश अग्रवाल ने दिव्यांगों के लिए तत्काल एस टू एक्सेस के नाम से एक एप बनाया, जिसका नोडल अधिकारी सुनील मंगल को बनाया गया। अब जहां भी वह जाते है वहां की बिल्डिंग को देखकर उस एप पर फोटो और वीडियो डाल देते है, जिसके बाद सरकार स्वतः उसे संज्ञान में लेती हैं और संबंधित विभाग को सूचना देकर वहां पर टीम भेजती हैं।
सुनिल मंगल की कार काफी स्पेशल हैं। इसमें पैर का प्रयोग नहीं किया जाता हैं। हाथ से ही एक्सीलेटर और ब्रेक भी लगता हैं। अपनी कार से ही वह हर जगह का सफर करते हैं।
सुनिल मंगल मिलियन डॉलर राउंड टेबल के लाइफ टाइम मेंबर भी हैं। अभी तक सुनील मंगल 22 देशों का सफर कर चुके हैं, जिसमें कि 5 बार अमेरिका, 2-2 बार कनाडा और लंदन, 1 बार अस्ट्रेलिया, 3 बार सिंगापुर, 4 बार मलेशिया, 5 बार बैंकॉक का सफर तय किया हैं।