January 13, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर अब प्रदेश का पहला ऐसा मेडिकल कॉलेज बन गया है, जहां रेटीना की सर्जरी शुरू हो गई है। अब यहां पर आँखो की जटिल से जटिल समस्याओं का भी ऑपरेशन संभव है। इसमें आंख की झिल्ली का फटना, मोतियाबिंद गिर जाना, लेंस गिर जाना जैसी स्थिति में आमतौर पर आंखों की रोशनी चली जाती है। लेकिन अब इन समस्याओं का भी इलाज कानपुर में हो सकेगा।
आंखों से संबंधित कई बीमारियां ऐसी होती है, जिसमें मरीज की आंखों की रोशनी चली जाती है। नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. परवेज खान ने बताया कि जब मोतियाबिंद काफी पुराना हो जाता है, और आंखों के अंदर का कैप्सूल फट जाता है तो ऐसे में ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता है। इस स्थिति में आंखों में लेंस भी नहीं लग पाता है।
ऐसे में मरीज की आंखों की रोशनी पूर्ण रूप से चली जाती है। कुछ मोतियाबिंद ऐसे भी होते है, जिसमें लेंस नहीं लग पाता है। इसके अलावा जब आंखों के पर्दे की छिल्ली फट जाती है तो इसमें भी ऑपरेशन करना मुश्किल हो जाता है।
डॉ. परवेज खान ने बताया कि रेटीना का ऑपरेशन आइरिस विधि, स्क्लेरल विधि और गूल्ड आईओएल विधि से किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ये ऑपरेशन अगर कही किसी निजी अस्पताल में कराते है तो इसमें कम से कम 40 हजार रुपए का खर्च आता है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज में इसका खर्च ज्यादा से ज्यादा 10 हजार रुपए आता है। क्योंकि यहां पर सरकारी तौर पर लेंस उपलब्ध नहीं हो पाता हैं। इसलिए लेंस को लगवाने के लिए मरीज को खुद ही लेंस खरीदना पड़ता है।
इस ऑपरेशन की सुविधा के बाद से हैलट में कानपुर के अलावा आसपास के करीब 18 जिलों के मरीजों को भी इसका लाभ मिलेगा। अभी तक इस ऑपरेशन के लिए लोगों को दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों का रुख करना पड़ता था, लेकिन अब कानपुर में ही यह इलाज लोगों को मिल जाएगा।