
संवाददाता
कानपुर। 37वीं वाहिनी पीएसी में एक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने जवानों से बातचीत की और उनका हौसला बढ़ाया।
योगेंद्र सिंह यादव वर्ष 1999 के भारत-पाक कारगिल युद्ध के नायक हैं। वह जीवित रहते हुए और सबसे कम उम्र में वीरता का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
कैप्टन यादव ने रिक्रूट आरक्षियों के साथ अपने युद्धकाल के अविस्मरणीय और अनसुने किस्से साझा किए। उन्होंने अपने अनुभवों से जवानों में उत्साह का संचार किया।
उन्होंने जवानों को देशप्रेम, राष्ट्र के प्रति गौरव की भावना, कर्तव्य का निर्वहन, फौजी परिवारों का सम्मान करने, जीवन में निरंतर आगे बढ़ने और बेहतर सोच व दिनचर्या अपनाने जैसे विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि देशभक्ति सिखाई नहीं जा सकती, यह देश की भलाई के लिए विकसित होने वाली एक शुद्ध भावना है।
कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने बताया कि सेना या पुलिस में सेवा करना केवल एक नौकरी नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका, जुनून, बलिदान, देश के प्रति सेवा की भावना और रोमांच का संगम है। कार्यक्रम के अंत में, 37वीं वाहिनी के सेनानायक बीबी चौरसिया आईपीएस और सहायक सेनानायक सुधाकर मिश्र डीएसपी ने कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव को पुष्पमाला और अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। सेनानायक ने अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया।
सेनानायक बीबी चौरसिया ने कहा कि जब भी भारतीय सेना के अद्वितीय साहस और शौर्य की बात होगी, तो परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर मानद कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
परमवीर चक्र कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव ने पहलगाम हमले के बारे में बताया कि पाकिस्तान ने भारत की संप्रभुता को तोड़ने का प्रयास किया। आतंकियों का हिन्दू-मुस्लिम धर्म पूछकर पर्यटकों को गोली मारना यह दिखाता है कि उन्होंने भारत देश में हिन्दू मुस्लिम के बीच नफरत पैदा करने की कोशिश की। उन्होंने भारतीय संस्कृति पर प्रहार किया। लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।





