November 18, 2025

संवाददाता
कानपुर।
  नगर के बिल्हौर तहसील क्षेत्र के मनोह और महाराजपुर गांवों में चकबंदी प्रक्रिया को लेकर भारी विवाद हो गया है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चकबंदी विभाग ने बिना खुली बैठक और किसानों की सहमति के ही यह कार्रवाई शुरू कर दी है। इससे नाराज किसानों ने जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
किसानों के अनुसार, चकबंदी नियम के तहत प्रक्रिया तभी वैध मानी जाती है जब दो-तिहाई किसानों की सहमति प्राप्त हो, लेकिन विभाग ने इन नियमों की अनदेखी की है। इसके अतिरिक्त, गांव में कई परिवारों के पट्टों के निरस्तीकरण की कार्रवाई पहले से ही लंबित है, जिससे चकबंदी से भूमि निर्धारण में और अधिक उलझनें पैदा हो सकती हैं।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि विभागीय कर्मचारी गांव के कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से मनमाने ढंग से चक बांट रहे हैं। किसानों ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में पहले ही जिलाधिकारी को एक शिकायती पत्र भेजा था, जिसमें बिना सहमति चकबंदी न कराने का आश्वासन दिया गया था।
किसानों के इस विरोध प्रदर्शन में भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति भी उनके समर्थन में सामने आई। 

जिलाध्यक्ष मीना पाल, सतेंद्र अवस्थी और नरेंद्र सिंह ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि चकबंदी विभाग ने चौबेपुर क्षेत्र के कुल 12 गांवों में बंदोबस्त की प्रक्रिया शुरू की है, जिनमें महाराजनगर, दिलीप नगर, विरोहा, मरखरा, निगोहा और मनोह जैसे गांव शामिल हैं। हालांकि, मनोह गांव में किसानों के कड़े विरोध के कारण यह मुद्दा अधिक गरमा गया है।
अब ग्रामीण जिलाधिकारी से सीधे बातचीत करके न्याय और निष्पक्ष कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। चकबंदी को लेकर तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।