
धनतेरस का पर्व है, सजा लिए बाज़ार।
ले आते घर आज हैं, नए स्वर्ण उपहार।।
सजा लिए हैं दीप से, सबने अपने गेह।
अंबर दिल का खुल गया, बहे खुशी का मेह।।
धर्म सनातन में रहे, उत्सव पूरे साल।
मधुर पकवान से सदा, भरा रहे ये थाल।।
जग मग नभ तारे करे, लक्ष्मी चरण पखार।
धनतेरस के पर्व पे, गणेश विभा अपार।।
सरस्वती के संग में, लक्ष्मी और गणेश।
ज्ञान, संपति धन मिले, अद्भुत है परिवेश।।
धनतेरस का पर्व है, त्योहार ये अनूप।
रत्न सिंधु मंथन मिले, महिमा के अनुरूप।।
जग आए धन्वन्तरी, लिए पीयूष साथ।
सभी रोग विपदा टले, वैद्यिक सर पे हाथ।।
माँ लक्ष्मी प्रत्यक्ष हैं, सागर मंथन बाद।
धन वैभव वर दायिनी, पूरी करे मुराद।।
—संजीव कुमार भटनागर