July 14, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
गन्ने का जूस आपकी सेहत के लिए जितना लाभकारी होता है उतना ही नुकसान भी पहुंचा सकता है। यदि साफ सुथरी जगह का जूस नहीं है तो फिर उसे न पीना ही आपके और आपके परिवार के लिए अच्छा होगा।
इन दिनों कानपुर मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल की बाल रोग की ओपीडी में ज्वॉन्डिस से पीड़ित जो भी बच्चे आ रहे है उनसे ये सिमिलरिटी देखने को मिल रही हैं। इसके पीछे का कारण है कि साफ सफाई न होने के कारण आप बीमारी को दावत दे रहे हैं।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. यशवंत राय ने बताया कि मौसम के बदलते ही हर ओपीडी में 2- 4 मरीज ज्वॉन्डिस के जरूर आ रहे हैं, जब इन बच्चों की हिस्ट्री देखी गई तो करीब 70 से 80 प्रतिशत बच्चे ऐसे थे जिन्होंने गन्ने का जूस पिया था।
डॉक्टरों के मुताबिक गंदगी जहां भी रहती है वहां पर हैपेटाइटस ए सक्रिय हो जाता है। गन्ने को जिस पानी में रखा जाता है वो पानी बहुत गंदा होता है। गन्ना सूखे नहीं इसके लिए उसको पानी में भिगो कर रखा जाता है। उस पानी को बदला नहीं जाता है। इसके अलावा कभी-कभी दुकान वाले गन्ने को जमीन में भरे हुए पानी में भी डाल देते है। इसके कारण गंदगी सारी गन्ने में आ जाती है। इसके बाद उस गन्ने का रस जब कोई पीता है तो हैपेटाइटस ए  वायरस सक्रिय हो जाता है। ऐसे में जिन बच्चों की शारीरिक क्षमता काफी कम होती है वह ज्वॉन्डिस के शिकार हो जाते हैं।
ज्वॉन्डिस में बच्चों में अचानक से तेज बुखार आना,आंखों का रंग पीला होना, थकावट आ जाना, पेशाब का रंग पीला होना, भूख न लगना आदि मुख्य लक्षण होते हैं। ऐसी किसी भी स्थिति में तुरंत डॉक्टरों से सलाह लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए।
अगर गन्ने का जूस पीना है तो खेतों में जो गन्ने की पिराई होती है। उसका जूस पिए। वहां पर गन्ने को तोड़कर तुरंत रस निकाला जाता है। इससे शरीर को किसी प्रकार की हानि नहीं होती है।

पीलिया से बचने के लिए डिब्बे में पैक जूस पीने से हमेशा बचें। गंदगी में जहां भी गन्ने का जूस निकाला जा रहा हो, वहां पर न पिए। बाजार में बिकने वाले रंग-बिरंगे तरल पदार्थ का सेवन न करें। कटे-फटे फलों का सेवन न करें, सिर्फ ताजे फल खाए। धूप में निकलने से पहले पेट भरकर पानी पी ले। धूप में ज्यादा देर तक न रहे, शरीर को हमेशा ढक कर रखे ।