
संवाददाता
कानपुर। अस्थमा आज के समय में बड़ी समस्या हैं। दिन पर दिन बढ़ रहे प्रदूषण के कारण मरीजों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है। इसमें इनहेलर ही मरीजों के लिए एक मात्र बेहतर इलाज है। इसको लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैली हैं। विशेषज्ञों की माने तो इसका कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता हैं, बल्कि दमा के मरीजों के लिए ये सबसे बेहतर हैं।
सांस से संबंधित कई तरह की बीमारियां होती हैं। इसमें सांस की नलियों से लेकर फेफड़े तक प्रभावित होते हैं। यह बीमारी प्रदूषण और संक्रमण के कारण तेजी से फैलती है। इसके साथ कुछ ऐसी एलर्जिक चीजें हैं, जिनसे श्वसन तंत्र प्रभावित होता है। इसके बाद व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। उसी को अस्थमा कहते हैं।
इस बीमारी का इलाज है इनहेलर लेना। इसको लेकर समाज में भ्रांतियां फैली है कि अगर इनहेलर लेना शुरू किया तो ये हमेशा लेना पड़ेगा। इसकी आदत बन जाती हैं। इससे शरीर को कई नुकसान भी होते हैं। इस तरह की बाते लोगों के मन में रहती हैं।
मुरारी लाल चेस्ट हास्पिटल के विभागाध्यक्ष व टीबी, चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि इनहेलेशन थेरेपी अस्थमा के इलाज का मुख्य आधार है। ये एक प्रकार की जीवन रक्षक भी हैं।
सांस लेने में मदद करने वाली दवाएं अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों के इलाज में अहम भूमिका निभाती हैं। इससे फेफड़ों तक दवाएं पहुंच जाती हैं। इसमें साइड इफेक्ट का खतरा भी नहीं रहता है।
डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी समस्या है और फेफड़ों तक दवा को पहुंचाने के लिए इनहेलर सबसे बेस्ट उपचार है। ये जब मुंह के रास्ते से लेते हैं तो सीधे फेफड़ों पर इसका असर होता है।
इस समय बाजार में मौजूद इनहेलर डिवाइसेज में दबावयुक्त मीटर्ड डोज इनहेलर्स, ड्राई पाउडर इनहेलर्स और नेब्यूलाइजर्स मिलते हैं। भारत में लगभग 90 फीसदी डॉक्टर क्लीनिक में पहली बार आने वाले अस्थमा के 40 फीसदी मरीजों को इनहेलर उपयोग करने की सलाह देते हैं।
डॉ. अवधेश ने बताया कि कई रोगी अक्सर अपनी दवाओं का इस्तेमाल कम कर देते हैं या इनहेलर्स को गलत ढंग से इस्तेमाल करते हैं, जो अस्थमा पर नियंत्रण नहीं होने देता है। इससे उन्हें ओरल थेरेपी लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है, सेहत के लिए समस्या होने पर डॉक्टर्स इनहेलर लेने की सलाह देते हैं।
इनहेलर में मिक्स दवा सांस के जरिए लेने की वजह से विंड पाइप में आ रही सूजन को कम करने में मदद करती है। ये इनहेलर्स कई वैराइटी के आते हैं। इसमें रिलीवर और प्रिंवेटर शामिल होते हैं।
इसके उचित इस्तेमाल के लिए सबसे पहले आप रिलैक्स होकर बैठ जाएं। फिर पंप को सही तरीके से अपने हाथ में पकड़े और शेक करें। फिर सांस को छोड़ें और इनहेलर को पंप करें। फिर इनहेलर को पंप करने के बाद सांसों को दस सेकेंड तक रोक कर रखें। सबसे आखिरी में गहरी सांस लें। इनहेलर को लेने के लिए हमेशा इन्हीं स्टेप को फॉलो करना चाहिए। जिससे दवा का पूरा फायदा मिलता है।