
आज़ाद संवाददाता
कानपुर। आईआईटी में सरोज चंद्रशेखर मेमोरियल अवार्ड समारोह 2025 का आयोजन किया गया। यह समारोह जैव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाली महिला वैज्ञानिकों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया।
यह पुरस्कार प्रो. सरोज चंद्रशेखर की याद में दिया जाता है, जो तपेदिक पर शोध करने वाली एक जानी-मानी वैज्ञानिक थी।
अपने करियर के शुरुआत में प्रो. सरोज चंद्रशेखर ने बॉम्बे विश्वविद्यालय के सेंट जेवियर्स कॉलेज से बीएससी की थी। इसके बाद उन्होंने 1950 में यूके के इंपीरियल कॉलेज से बैक्टीरियोलॉजी में पीएचडी की। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में प्रमुख पदों पर कार्यरत रहीं।
उन्होंने 1966 से 1969 तक जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय अमेरिका में भी पढ़ाया। उनके शोध ने टीबी की बेहतर समझ और इलाज की दिशा में बड़ी मदद की।
इस समारोह के मौके पर तीन युवा महिला वैज्ञानिकों को उनके डॉक्टरेट शोध के लिए सम्मानित किया गया। पहली योगिता कपूर सीएसआईआर – सीसीएमबी हैदराबाद से हैं, जिन्हें तपेदिक से जुड़ी बैक्टीरिया की वृद्धि और विभाजन पर रिसर्च के लिए अवार्ड मिला। दूसरी वैज्ञानिक हर्षा रानी मणिपाल की इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइन्फॉर्मेटिक्स एंड एप्लाइड बायोटेक्नोलॉजी से हैं, जिन्हें कोलोरेक्टल कैंसर में पी53 जीन की भूमिका पर रिसर्च करने के लिए सम्मान मिला। तीसरी अंतिमा अंकिता मेनन आईआईटी पालक्कड़ की हैं, उन्हें दवा और बायोमार्कर को पहचानने वाले खास बायोसेंसर विकसित किए जाने के लिए सम्मानित किया गया।
समारोह में प्रो. सुजाता शर्मा और डॉ. नगमा परवीन ने प्रेरणादायक भाषण दिया। प्रो. सुजाता शर्मा, ऐम्स दिल्ली में संरचनात्मक जीवविज्ञान की विशेषज्ञ हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
वहीं डॉ. नगमा परवीन, आईआईटी कानपुर में रसायन विभाग की फैकल्टी हैं और वे वायरस से जुड़ी रिसर्च पर काम कर रही हैं। डॉ. नगमा और प्रो. शर्मा ने अपने रिसर्च वर्क पर प्रेजेंटेशन भी दिया।