June 17, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर। 
एचएमपीवी वायरस भले ही ज्यादा खतरनाक न हो, लेकिन इससे बचाव सबसे ज्यादा जरूरी हैं। डॉक्टरों की माने तो यह वायरस एक आम वायरस की तरह ही मरीज को प्रभावित कर रहा है। इसके लक्षण भी वैसे ही हैं जैसे किसी आम वायरस के मरीज। इसलिए इस वायरस को बिना जांच के पकड़ा नहीं जा सकता है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने कहा कि इस वायरस से बचने के लिए हमको कोविड की गाइडलाइन का ही पालन करना चाहिए, क्योंकि ये वायरस एक दूसरे के संपर्क में आने से ही फैलता है।
अगर कोई व्यक्ति किसी स्थान पर छींकता या खांसता है, तो उसके वायरस उस एरिया में फैल जाते हैं और अगर हम आसपास मौजूद है या वहां की किसी चीज को टच करते हैं तो ये वायरस हमारे हाथों के माध्यम से मुंह और नाक के संपर्क में आते हैं। हम उससे संक्रमित हो जाते हैं।
उन्होंने बताया कि यदि 100 डिग्री के ऊपर बुखार है और यह बुखार लगातार एक हफ्ते तक उतरता चढ़ता रहता है, तो खुद को आप आइसोलेट कर ले। गले या सीने में दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले साथ ही घर पर गुनगुने पानी का सेवन करें। दिन में कई बार गुनगुने पानी से गरारा करें।
एचएमपीवी वायरस से बचने की जरूरत सबसे ज्यादा नवजात से 5 साल तक के बच्चों को है। जिन लोगों को सांस की बीमारी है, शुगर, एचआईवी, बीपी, कैंसर, किडनी जैसी बीमारियां हैं उन मरीजों को भी काफी सतर्कता बरतने की जरूरत है।
डॉ. प्रियदर्शी ने बताया कि यह वाइरस नया नहीं है, बल्कि 25 साल पुराना वायरस है और इसपर बहुत सारे शोध चल रहे हैं। इसकी कोई वैक्सीन नहीं बनी है। हालांकि इस वायरस से बहुत कम मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचते हैं। इसका अनुपात एक प्रतिशत से भी कम है। 

लेकिन जिन लोगों को निमोनिया हो जाता है वह मरीज गंभीर अवस्था में पहुंच जाते हैं, यह दिक्कत उन मरीजों में आती है जो शुरू से इलाज करने में लापरवाही बरते हैं। इसमें कोई भी एंटीवायरल दवा नहीं चलाई जाती है।