January 21, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
चोरी हुआ 25 लाख का जेवर हड़पने के केस में फंसे रेलबाजार थानेदार रहे दरोगा विजय दर्शन पर एक  महिला कांस्टेबल ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था । महिला ने आरोप लगाया था कि थाने में नाइट ड्यूटी लगाकर उसका सेक्सुवल हैरेसमेंट कर रहे थे। कांस्टेबल की शिकायत के बाद पुलिस कमिश्नर ने जांच का आदेश दिया था। यौन उत्पीड़न निवारण समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करती है।
कानपुर के बर्रा-6 में रहने वाली शिक्षिका शालिनी दुबे के घर करीब तीन महीने पहले 25 लाख के जेवरात की चोरी हुई थी। मामले की जांच के दौरान आरोप लगा कि रेलबाजार थानेदार रहे विजय दर्शन ने चोरों को पकड़ा और जेवरात बरामद करने के बाद छोड़ दिया था। बर्रा पुलिस ने मामले में चोरों की अरेस्टिंग की तो विजय दर्शन की करतूत सामने आई कि 25 लाख का सोना हड़पकर बेच दिया था। मामले में पुलिस कमिश्नर ने विजय दर्शन को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया था, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश पर विजय दर्शन को बहाली मिल गई, और 30 दिन में जांच पूरी करने का आदेश भी कोर्ट ने दिया है।
उन्ही विजय दर्शन के खिलाफ एक महिला कांस्टेबल ने सेक्सुवल हैरिसमेंट का आरोप लगाते हुए पुलिस कमिश्नर से शिकायत दर्ज कराइ थी । मामले में अब यौन उत्पीड़न निवारण समिति को जांच का आदेश भी हुआ था। एडिशनल डीसीपी महिला अपराध अमिता सिंह को मामले की जांच दी गई थी, लेकिन अभी तक मामले में आरोपी दरोगा विजय दर्शन के रसूख के चलते बयान तक दर्ज नहीं हो सके।
मामले की जांच कर रही एडीसीपी महिला अपराध अमिता सिंह ने बताया कि मामले में कमेटी की एक बैठक पुलिस ऑफिस में कॉल की गई थी, लेकिन डीसीपी मुख्यालय आरती सिंह के अवकाश पर होने के चलते मामले में आरोपी दरोगा विजय दर्शन के बयान नहीं दर्ज हो सके थे। अब 15 दिन बाद मामले में आरोपी को बयान दर्ज कराने के लिए कमेटी की बैठक नियत की गई है।
पहले से ही दागी दरोगा विजय दर्शन पर कानपुर  कमिश्नरेट पुलिस कार्रवाई से बच रही है। सोना हड़पने के मामले की तीन महीने बाद भी जांच पूरी नहीं हो सकी, इसका फायदा उठाकर हाईकोर्ट से विजय दर्शन को बहाली मिल गई। ठीक इसी तरह महिला कांस्टेबल के यौन उत्पीड़न के मामले में भी तारीख पर तारीख दी जा रही है, आरोपी दरोगा के अभी तक बयान तक दर्ज नहीं हो सके हैं। कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद ही मामले में कार्रवाई संभव है। अगर पुलिस की इसी तरह लचर जांच चलती रही, तो एक बार फिर से कानूनी दांवपेंच में फंसाकर मामले को रफादफा किया जा सकता है।